लोहड़ी पर्व की 7 खास परंपराएं
मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व रात्रि में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है, जानें 7 खास परंपराएं-
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लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते हैं।
लोहड़ी पर तिल-गुड़ खाने और बांटने का महत्व है और रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद लेते हैं।
लोहड़ी की संध्या को लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी आदि की आहुति देते हैं।
जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है।
इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है।
लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं जिसमें गजक, रेवड़ी, मूंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं।
लोहड़ी का संबंध, मां सती, गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन रबी की फसल काटी और मूली एवं गन्ने की फसल बोई जाती है।
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