नवरात्रि की चौथी देवी कूष्मांडा के 7 रहस्य
नवरात्रि की चतुर्थी पर माता के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा होती है, जानिए 7 रहस्य-
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उदर से अंड तक वह अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए है, इसीलिए कूष्मांडा कहलाती है।
सरलतम मंत्र यह है- 'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'
माता कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाकर दान देने से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है।
सिंह पर सवार कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, अमृत कलश, धनुष-बाण, कमल, शंख, चक्र, गदा और जपमाला है।
देवी कूष्मांडा की पूजा और भक्ति से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है।
इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है।
देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- ऐं ह्री देव्यै नम:।
नवरात्रि की चतुर्थ शक्ति आपको आशीष दें, हमारी शुभकामनाएं
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