महाराष्ट्र में पुणे के समीप गणेशजी के 8 पवित्र और प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें अष्टविनायक कहा गया है।
पुणे से 75 किमी दूर गणेशजी ने यहीं पर सिंधुरासुर का वध मोर पर सवार होकर किया था।
भीमा नदी के पास पहाड़ी पर स्थित इस स्थान पर विष्णुजी ने सिद्धि प्राप्ति की थी।
कुलाबा जिले के पाली नामक स्थान पर भक्त बल्लाल के नाम इस मंदिर का नाम रखा गया है।
रायगढ़ के कोल्हापुर नामक जगह पर वरदविनायक विराजमान हैं, जो मनोकामना पूर्ण करते हैं।
इस मंदिर की स्थापना भक्त मोरया गोसावी ने पुणे शहर से 25 किमी की दूरी पर थेऊर गांव में की थी।
पुणे से करीब 100 किमी की दूर पर लेण्याद्रि गांव में पर्वत पर यह मंदिर स्थित है।
पुणे से करीब 85 किमी दूर ओझर जिले के जूनर क्षेत्र में गणेशजी ने विघनासुर का वध किया था।
पुणे से 55 किमी दूर राजणगांव में स्थित मंदिर के गणेशजी को महोत्कट के नाम से भी जाना जाता है।