मकर संक्रांति की 8 रोचक बातें
हर साल 14 या 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। जानिए इसकी खास बातें।
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मकर संक्रांति सूर्य पूजा का विशेष दिन है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण गति करने लगते हैं।
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प्रचलन से मकर संक्रांति के साथ तिल, गुड़, पतंग, गिल्ली डंडा खेलना आदि कई परंपराएं जुड़ी चली गई।
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मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
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महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का ही इंतजार किया था।
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मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन व्रत है।
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इस दिन तिल जल से स्नान, तिल दान, तिल से बना भोजन, तिल अर्पण, तिल से आहुति, तिल का उबटन लगाना आदि कार्य करते हैं।
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मकर संक्रांति को हर प्रांत में अलग रूप में मनाते हैं। पोंग, भोगी, लोहड़ी, माघ बिहू, लाल लोही, मकर ज्योति आदि नामों से जानते हैं।
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22 दिसम्बर को सूर्य जब मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है। उसके बाद वह उत्तरायण गति करने लगता है। मकर संक्रांति के दिन यह पूर्णत: उत्तरायण हो जाता है।
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