चमत्कारिक नागचंद्रेश्वर मंदिर के 6 रहस्य
श्रावण मास में नागपंचमी के दिन वर्ष में एक बार खुलता है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर।
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मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं। उन्हीं से जुड़ी है मंदिर की कथा।
इस मंदिर में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं।
शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
मंदिर में 11वीं सदी की प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं।
कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी।
जो इस मंदिर में दर्शन करता है, वह सर्प दोष और कालसर्प दोष से मुक्त हो जाता है।
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