नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कोटितीर्थ से निकलकर गुजरात के पास अरब सागर में समा जाती है। आओ जानते हैं 10 रोचक तथ्य।
देश की सभी नदियों की अपेक्षा नर्मदा विपरीत दिशा में बहती है।
नेमावर नगर में नर्मदा नदी का नाभि स्थल है। ओंकारेश्वर होते हुए ये नदी गुजरात में प्रवेश करके खम्भात की खाड़ी में मिल जाती है।
नर्मदा जी की यह यात्रा करीब 1,312 किलोमीटर की है। इस बीच नर्मदा विन्ध्य और सतपुड़ा के पहाड़ और जंगल सभी को पार करते हुए जाती है।
नर्मदा नदी की कुल 41 सहायक नदियां हैं। उत्तरी तट से 19 और दक्षिणी तट से 22 नदियां हैं।
नर्मदा बेसिन का जलग्रहण क्षेत्र एक लाख वर्ग किलोमीटर है। यह देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का तीन और मध्य प्रदेश के क्षेत्रफल का 28 प्रतिशत है।
नर्मदा के कई झरने हैं। जैसे, कपिल धारा, दुग्ध धारा, भेड़ाघाट का धुआंधार जलप्रपात, महेश्वर में सहस्त्रधारा जलप्रपात, दर्धी जलप्रपात, मान्धाता जलप्रपात आदि।
नर्मदा के जल का राजा है मगरमच्छ। यह मीठे पानी का मगरमच्छ दुनिया के अन्य मगरमच्छों से एकदम अलग है।
नर्मदा नदी के तट पर अमरकंटक, जबलपुर, नर्मदापुरम, ओंकारेश्वर, मंडलेश्वर, महेश्वर, धार, बड़वाह, वालकेश्वर, बिमलेश्वर, कोटेश्वर, धर्मराय, हस्तीसंगम, गरुड़ेश्वर, चंदोद, भरूच इत्यादि नगर बसे हैं।
नर्मदा पाताल की नदी है। नर्मदा के जल को बांध तो इसका जल पाताल में समाकर धरती को भूकंपों से पाट देगा।
नर्मदा जी की पूर्ण परिक्रमा 3 वर्ष 3 माह और 13 दिनों में पूर्ण होती है, परंतु कुछ लोग इसे 108 दिनों में भी पूरी करते हैं।