Shani Jayanti : शनिदेव के बारे में 10 रोचक तथ्य
प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि महाराज की जयंती मनाई जाती है, जानें 10 रोचक बातें-
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शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की कृष्ण अमावस्या और कुछेक ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या को हुआ था।
शनि भगवान के पिता सूर्य और माता का नाम छाया है। उनकी माता को संवर्णा भी कहते हैं।
सूर्य और छाया के पुत्र शनिदेव के यमराज, वैवस्वत मनु और कुंती पुत्र कर्ण भाई हैं। यमुना उनकी बहन है।
चित्ररथ की कन्या से इनका विवाह हुआ था। शनिदेव की धामिनी, ध्वजनिनी आदि 8 पत्नियां हैं।
एक कथा के अनुसार शनिदेव का जन्म ऋषि कश्यप के अभिभावकत्व यज्ञ से हुआ माना जाता है।
शनिदेव के सिद्ध पीठ- 1. शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र) शनिश्चरा मन्दिर (मध्यप्रदेश) और सिद्ध शनिदेव (उत्तरप्रदेश)।
यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय करता है तो वह शनि की वक्र दृष्टि से बच नहीं सकता।
बचपन में पिता से रुष्ट होकर शनिदेव कहीं चले गए थे। हनुमानजी ने उन्हें अपनी पूंछ से पकड़कर पुन: उनके घर पहुंचा दिया था।
शनिदेव को रावण ने बंधक बना लिया था। लंका दहन के दौरान हनुमानजी ने शनिदेव को मुक्त कराया था।
हनुमानजी को छोड़कर शनिदेव ने सभी को अपनी दृष्टि से आघात पहुंचाया है।
श्री शनि जयंती की शुभकामनाएं
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