उज्जैन में देखने लायक खास जगहें

महाकाल मंदिर : 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग को सबसे प्रमुख माना जाता है। यहां का महाकाल लोक अद्भुत है।

माता हरसिद्ध शक्तिपीठ : कहते हैं कि हरसिद्धि का मंदिर वहां स्थित है जहां सती के शरीर का अंश अर्थात हाथ की कोहनी आकर गिर गई थी।

गढ़कालिका : उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे। इसी स्थान पर गढ़काली का मंदिर है।

काल भैरव : क्षिप्रा तट पर भैरवगढ़ में साक्षात भैवरनाथ विराजमान है। यहां भैरवनाथ की मूर्ति मदिरापान करती है। मंदिर लगभग 6 हजार साल पुराना है।

चिंतामन गणेश : उज्जैन के पास ग्राम जवास्या में गणेश जी का प्राचीनतम मंदिर है, जहां वे तीन रूपों में विराजमान हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक।

भर्तृहरि गुफा : भरथरी या भर्तृहरि गुफा में विक्रमादित्य के भाई राजा भर्तृहरि ने तपस्या की थी। गुफा राजा भर्तृहरि के भतीजे गोपीचन्द की है।

सांदीपनि आश्रम : यहां अंकपात क्षेत्र में स्थित इस आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा और बलरामजी ने अपने गुरु श्री सांदीपनि ऋषि के सान्निध्य में शिक्षा ग्रहण की थी।

श्री मंगलनाथ मंदिर : पौराणिक मान्यता अनुसार इसे मंगल ग्रह की जन्मभूमि कहते हैं। यहां मंगल ग्रह की शांति के लिए पूजा होती है।

क्षिपा नदी : यहां क्षिप्रा नदी के तट पर एक ओर रामघाट और दूसरी ओर दत्त अखाड़ा घाट है जहां पर कई प्राचीन मंदिर है।

सिद्धवट : क्षिप्रा त्रिवेणी संगम पर स्थित सिद्धवट को चार प्रमुख प्राचीन वटों में से एक माना जाता है, जो माता पार्वती ने लगाया था। इसी क्षेत्र में रुद्रसागर में प्राचीन श्रीराम मंदिर है।

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