दशहरे और शमी पत्ते का क्या है कनेक्शन
दशहरे पर शमी के पत्ते एक दूसरे को देने का प्रचलन है, आखिर क्या है इसका रहस्य-
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कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष की पूजा की थी।
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जब श्री राम अयोध्या लौटे थे तो उन्होंने लोगों को स्वर्ण दिया था। इसी के प्रतीक स्वरूप लोग शमी के पत्ते देते हैं।
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पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने हथियार शमी वृक्ष में ही छिपाए थे। बाद में उन्होंने शमी पूजा करके वहीं से हथियार प्राप्त किए।
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महर्षि वरतन्तु ने अपने शिष्य कौत्स से दक्षिणा में 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राएं मांग ली। तब राजा रघु को इंद्र ने शमी वृक्ष के माध्यम से मुद्राएं दी थी।
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दशहरे पर इस वृक्ष के पूजन से शनि प्रकोप शांत हो जाता है क्योंकि यह वृक्ष शनिदेव का साक्षात रूप माना जाता है।
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विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष पूजा करने से घर में तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है।
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