प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु में नौतपा प्रारंभ होता है। आखिर ये नौतपा क्या होता है, जानें-

सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के शुरुआती 9 दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं।

इन्हीं सर्वाधिक गर्मी वाले शुरुआती 9 दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है।

यदि इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से बारिश न हो और न ही ठंडी हवा चले तो यह माना जाता है कि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होगी।

सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मानसून गर्भ में जाता है और नौतपा ही मानसून का गर्भकाल माना जाता है।

रोहिणी नक्षत्र लगने से एक ओर जहां धरती का तापमान बढ़ता है, वहीं तूफान और बादलों का आना भी बढ़ता है।

अधिक तापमान के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है जो समुद्री लहरों को आकर्षित करता है, जिससे तूफान और बारिश के आसार बनते हैं।

ऐसी मान्यता है कि आद्रा नक्षत्र के बाद से और स्वाति नक्षत्र के पहले तक नौतपा रहता है।

आद्रा और स्वाति नक्षत्र के बीच जिस भी क्षेत्र में वर्षा हो जाती है तो फिर उक्त क्षेत्र में बाद में वर्षा नहीं होती है और अकाल पड़ जाता है।

वैज्ञानिक मतानुसार नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती है अत: तापमान बढ़ता है।

घर में पीपल होना शुभ या अशुभ, क्या है मान्यता?

Follow Us on :-