अयोध्या में बहती है सरयू नदी। इसे सरजू के नाम से भी जानते हैं। आओ जानते हैं इसके 10 रोचक तथ्‍य।

सरयू भगवान विष्णु के आंसुओं से प्रकट हुई। श्री हरि विष्णु की मानस पुत्री सरयू नदी को धरती पर लाने का श्रेय ऋषि वशिष्ठ को जाता है।

सरयू नदी का उद्गम उत्तराखंड के बागेश्वर में कपकोट क्षेत्र के सरमूल नामक स्थान में है। उत्तराखंड, यूपी और बिहार की ये खास नदी है।

ये नदी नेपाल की सीमा पर स्थित चम्पावत जिले में पंचेश्वर में काली नदी में मिल जाती है।

शिवजी के श्राप के कारण इसका जल मंदिर में नहीं चढ़ाया जाता लेकिन इसमें स्नान करने से शरीर और मन की शुद्धि के साथ ही पाप धुल जाते हैं।

सरयू मानसरोवर से पहले कौड़याली नाम धारण करके बहती है, फिर इसका नाम सरयू और अंत में घाघरा या घर्घरा हो जाता है।

सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी राप्ती, जाह्नवी इत्यादि हैं। इसे शारदा नदी की सहायक नदी माना जाता है।

यह भी कहा जाता है कि सरयू नदी धरती के नीचे बहने वाली एकमात्र नदी है।

सरयू नदी भगवान श्रीराम के जीवन की साक्षी हैं। अयोध्या के गुप्त द्वार घाट पर इसी नदी में श्रीराम ने जल समाधि ली थी।

यह नदी अपने औषधीय गुणों के लिए भी जानी जाती है और माना जाता है कि इसमें उपचार करने की शक्तियां हैं।

सौधारा अर्थात जहां पतित पावनी सरयू की सौ धाराएं निकलती हैं, जो कि सरमूल से लगभग 15 किमी की दूरी पर पहाड़ियों के बीच स्थित है।

कृष्णा नदी के 10 रोचक तथ्य

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