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शेयर बाजार ढुलमुल स्थिति में

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कमल शर्मा

भारतीय शेयर बाजार इस समय कम वोल्‍यूम की वजह से ढुलमुल स्थिति में हैं। काफी समय से ऐसा लग रहा है मानो शेयर बाजार में न तो खिलाडि़यों को बड़ी उठापटक में रुचि है और न ही निवेशकों की अब कारोबार में इच्‍छा बची है।

कम वोल्‍यूम की वजह से शेयर बाजार से जुड़े हर वर्ग की कमाई पर भी सीधा असर पड़ा है और कारोबार नीरस होता जा रहा है। यह स्थिति कम से कम अगले 15 दिन तक और बनी रह सकती है इसके बाद अक्‍टूबर महीना फिर कार्पोरेट नतीजों की सौगात साथ लेकर आएगा और बाजार में खासी हलचल देखने को मिल सकती है।

अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 147 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 115 डॉलर आ जाने के बावजूद रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर जिस तरह बढ़कर 43.44 के स्‍तर पर पहुँच गया है उससे तेल आयात बिल में कमी नहीं आई और भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए तेल मुद्दा अभी भी बड़ा संकट बना हुआ है।

महँगाई दर जरूर घटकर 12.40 फीसदी रही, लेकिन दूसरी तरफ, अप्रैल से जून 2008 की तिमाही के लिए सकल घरेलू विकास दर यानी जीडीपी 9.2 फीसदी से घटकर 7.9 फीसदी रह जाना भी बुरा कारक है। हालाँकि डॉलर के मजबूत रहने से सॉफ्टवेयर और निर्यात से जुड़ी कंपनियों के नतीजे सुखद देखने को मिल सकते हैं।

भारत के परमाणु मुद्दे पर 5 सितंबर को एनएसजी समूह निर्णय करेगा। एनएसजी से भारत-अमेरिका परमाणु करार को हरी झंडी मिलने का शेयर बाजार पर सकारात्‍मक असर होगा। इस बीच खबर है कि इस करार के मंजूर होने पर रिलायंस इंडस्‍ट्रीज न्‍यूक्लियर पॉवर के क्षेत्र में उतरने की तैयारी में है।

रिलायंस का इरादा 616.80 करोड़ यूरो के सालाना कारोबार वाली फ्रांसीस कंपनी अरेवा के साथ हाथ मिलाने का है। निवेशकों को इस समय पावर और पावर इंजीनियरिंग क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों में निवेश करना चाहिए। देश में बिजली की जोरदार कमी और बड़ी क्षमताएँ खड़ी करने की जरूरत इस क्षेत्र की कंपनियों के लिए सुखद समाचार है।

लेकिन अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में अभी भी क्रूड के दाम 115 डॉलर प्रति बैरल होने, अमेरिकी डॉलर का दाम 43.44 होने से क्रूड का दाम भारत के लिए 115 डॉलर नहीं बल्कि 127 डॉलर प्रति बैरल बैठ रहा है, जिसका ऑटो उद्योग पर नकारात्‍मक असर पड़ रहा है। रुपए और डॉलर की स्थिति ने आयातित ऑटो पार्ट्‍स को काफी महँगा बना दिया है जिससे वाहनों की कीमत बढ़ रही है और बिक्री तेजी से घट रही है। ऐसे में निवेशकों को ऑटो शेयरों से दूर रहना चाहिए।

बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स 1 सितंबर से शुरू हो रहे नए सप्‍ताह में 15131 से 14067 के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 4531 से 4167 के बीच कारोबार करता रहेगा।

तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि 1 सितंबर से शुरू होने वाले सप्‍ताह में बीएसई सेंसेक्‍स में दो रेसीस्टेंस दिखते हैं, पहला 14672 और दूसरा 14824 पर है। बीएसई सेंसेक्‍स किसी स्थिति में यदि 14824 के ऊपर बंद होता है तो इसकी अगली रेंज 15130-15167 होगी। इसके बाद यह बढ़कर 15422-15579-15789 अंक पहुँच सकता है। सेंसेक्‍स को सपोर्ट निचले स्‍तरों 14136-14066-13727 पर निरंतर मिलता रहेगा।

इस सप्‍ताह जिन कंपनियों के नतीजों पर बाजार की नजर हैं वे हैं- कुटोंस रिटेल इंडिया, मान एल्‍युमिनियम, अल्‍केमिस्‍ट, ट्राइजन टेक्‍नो, इंडो रैमेडीज, मार्कसंस फार्मा, आलोक इंडस्‍ट्रीज, ग्रेबल अलोक, एचसीएल इंफोसिस्‍टम्‍स, जिंदल पोली फिल्‍म्‍स, अनिक इंडस्‍ट्रीज, निओक्‍योर थेराप्‍युटिक्‍स, ओरोओनप्रो साल्युशंस, आईओएल नेटकॉम, शिववानी ऑइल एंड गैस, राजदर्शन इंडस्‍ट्रीज और कार्डेस केबल इंडस्‍ट्रीज।

इस सप्‍ताह निवेशक सुनील हाईटेक, एमपी डिस्‍टलरीज, आर. सिस्‍टम इंटरनेशनल, हिंदुस्‍तान आर्गेनिक्‍स, टोरेंट पॉवर, लार्सन एंड टूब्रो, कार्बोरेंडम यूनिवर्सल, अभिषेक इंडस्‍ट्रीज, आईआरबी इंफ्रा डेवलपमेंट, रिलायंस कम्‍युनिकेशन, हिंदुस्‍तान यूनिलीवर और इंफोसिस पर ध्‍यान दे सकते हैं।
*यह लेखक की निजी राय है। किसी भी प्रकार की जोखिम की जवाबदारी वेबदुनिया की नहीं होगी।

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