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अनिश्चितता के कारण दबाव बढ़ा

फंडामेंटल मजबूत किंतु अंतरप्रवृत्ति कमजोर, निवेशक हुए निराश

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, रविवार, 9 मार्च 2008 (17:33 IST)
- शैलेन्द्र कोठार

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान निराशाभरी बिकवाली का दौर जारी रहने से निफ्टी कुल 452 प्वाइंट्स की भारी गिरावट के साथ 4772 पर बंद हुआ। बाजार में हो रहे अंधाधुंध बेचान का अंदाज इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि फ्यूचर के 232 शेयरों में से 227 के भाव साप्ताहिक घाटे में रहे तथा मंदी के दौर में मजबूती से टिके बैंक ऑफ इंडिया, यस बैंक, आकृति सिटी, जैन इरीगेशंस जैसे कई शेयर्स इस सप्ताह गिरावट की चपेट में आ गए।

विश्लेषकों का कहना है कि फंडामेंटल मजबूत बने हुए हैं तथा बजट में किए गए प्रावधानों से खपत को बढ़ावा मिलेगा इसलिए जीडीपी वृद्धि दर 8-8.50 फीसदी पर कायम रह सकती है, किंतु तकनीकी एवं सेंटीमेंट नजरिए से देखा जाए तो हालत खराब है, इसलिए कहा जा सकता है कि अनिश्चितता के इस दौर को धैर्यपूर्वक सहन करना होगा।

बाजार में 22 जनवरी को आए क्रेश के बाद से लगभग पाँच सप्ताह तक सीमित दायरे में घूमकर मजबूती से टिके निफ्टी ने इस सप्ताह खराब प्रदर्शन करते हुए व्यावसायियों एवं तकनीकी विश्लेषकों को निराश कर दिया है। हालाँकि निफ्टी ने अभी ऐसा कोई महत्वपूर्ण संकेत नहीं दिया है, जिसे देखकर लगे कि अब तो यह गया, लेकिन 32 ट्रेडिंग सत्रों बाद भी ठीक से रिकवर होने की बजाय धड़धड़ाते हुए गिरने की प्रवृत्ति से संकेत मिल रहे हैं कि भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व के इक्विटी बाजारों में अनसोची घटना घट रही है।

डो-जोंस ने 22 जनवरी को 11500 का लो बनाया था तथा उसके बाद से ही यह 12000-12700 की रेंज में बना हुआ था, किंतु शुक्रवार को डो-जोंस रेंज तोड़कर 11900 के करीब बंद हुआ है। यानी 22 जनवरी को बनाए निम्न के करीब है और यही स्थिति निफ्टी की भी है। हालाँकि दोनों देशों के फंडामेंटल में बहुत बड़ा फर्क है। अमेरिकन अर्थव्यवस्था रिसेशन में जाने की कगार पर खड़ी है जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था 8.50-9 फीसदी की दर से बढ़ रही है।

अमेरिकी संकट के प्रभाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए बजट में चतुराई भरे कदम उठा लिए गए हैं। ड्यूटी कट करते हुए वस्तुओं की कीमतों को थोड़ा सस्ता कर दिया गया है, साथ ही करदाताओं को कर छूट प्रदान करते हुए खर्च के लिए अतिरिक्त धनराशि मुहैया करा दी गई है। इसके बावजूद बाजार की प्रतिक्रिया नकारात्मक है।

एक विदेशी फंड मैनेजर का कहना है कि पिछले लगभग साढ़े चार वर्षों से चली आ रही तेजी के बीच यह पहली बार हुआ है कि बाजार ने सकारात्मक समाचारों पर प्रतिक्रिया देना बंद कर दी है। भारत में ग्रोथ अच्छी है, वेल्यूएशन आकर्षक स्तर पर आ गई है, सबप्राइम संकट का प्रभाव नगण्य है। भारत की इकॉनॉमी घरेलू डिमांड पर ही ज्यादा आश्रित है यानी वैश्विक अर्थव्यवस्था के दुष्प्रभाव से सुरक्षित है।

महँगाई और ऊँची ब्याज दरें जरूर चिंता का कारण है, लेकिन निकट भविष्य में ब्याज दरें घटेंगी ही और जहाँ तक महँगाई का प्रश्न है कई जरूरी जिंसों के भाव घटेंगे, क्योंकि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी बाजारों में जो फुगावा आया है वो जल्दी ही फूटने वाला है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गेहूँ, सोयाबीन, सोया तेल, शुगर, एल्यूमीनियम एवं कॉपर के भाव गिरावट के दौर में प्रवेश कर चुके हैं या करने वाले हैं।

दरअसल सिर्फ गोल्ड, सिल्वर एवं क्रूड ऑइल में ही ठोस तेजी का दौर चल रहा था, किंतु फेड-रिजर्व द्वारा लगातार ब्याज दर घटाने एवं सबप्राइम संकट से निपटने के लिए वित्तीय बाजारों में अरबों डॉलर्स की लिक्विडिटी बढ़ा दिए जाने के कारण तथा शेयर बाजारों में चल रही अनिश्चितता के चलते यह धनराशि कमोडिटी मार्केट में चली गई थी, किंतु अब वहाँ इतना स्कोप नहीं बचा है और इधर शेयर बाजार गिरते हुए खरीदी के लिए अत्यंत ही आकर्षक स्तरों पर पहुँच रहा है, इसलिए थोड़े दिनों में धन का प्रवाह वापस शेयर बाजारों की तरफ मुड़ सकता है। हालाँकि निवेशकों को दीर्घावधि नजरिया ही रखना चाहिए।

बहरहाल गैमन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का इश्यू 10 मार्च को खुल रहा है। कंपनी 10 रुपए फेस वेल्यू वाले शेयर्स 167 से 200 रुपए के प्राइस बैंड पर जारी कर रही है। रोड, ब्रिज एवं हाइड्रो-पॉवर प्रोजेक्ट के लिए धनराशि जुटाने जा रही कंपनी का इश्यू महँगे भाव पर जारी हो रहा है। रिटेल एवं हाई-नेटवर्थ निवेशकों के लिए एप्लीकेशन के साथ सिर्फ 50 रुपए प्रति शेयर की भुगतान सुविधा कंपनी ने दी है, किंतु कंपनी प्रमोटर्स ने लगभग 11 करोड़ शेयर्स एट-पार यानी 10 रुपए में ही लिए हैं, इसलिए किस्तों पर भुगतान की सुविधा दुविधा में डाल सकती है। अतः संस्थागत निवेशकों का रिस्पांस देखने के बाद ही निर्णय लेना उचित होगा।

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