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ग्रोथ की बजाय वेल्यूएशन पर ध्यान

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, रविवार, 16 मार्च 2008 (18:41 IST)
- शैलेन्द्र कोठार

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अनिश्चित एवं तीव्र उतार-चढ़ाव के बीच निफ्टी कुल 26 प्वॉइंट्स घटकर 4746 पर बंद हुआ। आईटी, मेटल एवं कैपिटल गुड्स सेक्टर के हैवीवेट शेयर्स में बिकवाली दबाव ज्यादा था, जबकि रिलायंस, ओएनजीसी, गैल एवं केइर्न जैसे ऑइल्स एंड गैस सेक्टर्स के शेयरों ने बढ़त लेकर निफ्टी का घाटा पाटने में मदद की। निवेशकों की निराशा को बढ़ाते हुए स्मॉल एवं मिड-केप इंडेक्स 3 से 4 प्रतिशत तक घटकर बंद हुए।

वैश्विक शेयर बाजारों की स्थिति बीते सप्ताह भी खराब रही। अमेरिका में सब-प्राइम समस्या और गहरा जाने के कारण धन की तंगी से जूझ रहे कुछ विदेशी निवेशकों ने विश्वभर के शेयर बाजारों में बेचान करते हुए नकद राशि जुटाने का सिलसिला जारी रखा है। भारतीय बाजारों में जनवरी माह के दौरान केपिटल मार्केट सेगमेंट में लगभग 13 हजार करोड़ रु. की नेट बिकवाली करते हुए पूरे बाजार को हिला देने वाले विदेशी निवेशकों ने फरवरी में 1700 करोड़ रु. की नेट खरीदी की थी।

परिणामस्वरूप निफ्टी एवं सेंसेक्स सीमित दायरे में घूमते हुए थोड़े टिके हुए थे, किंतु मार्च में एक बार फिर एफआईआई की बिकवाली का दौर शुरू हो गया है। हालाँकि यह बेचान जनवरी जैसा भारी-भरकम नहीं है, लेकिन बाजार की हालत इतनी कमजोर है कि यह अब ज्यादा बेचान झेलने में समर्थ नहीं है। इधर घरेलू म्यूच्युअल फंड्स पर भी रिडेम्पशन दबाव बढ़ता दिख रहा है। मार्च महीने में 12 तारीख तक म्यूच्युअल फंडों ने 1156 करोड़ रु. का नेट बेचान किया है।

एक हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर का कहना है कि सिर्फ दो माह में घटी घटनाओं ने निवेशक समुदाय को स्तब्ध कर दिया है। हालाँकि दीर्घावधि निवेशक एवं म्यूच्युअल फंड इन्वेस्टर्स अभी भी अच्छे-खासे मुनाफे में हैं तथा भविष्य के प्रति आशावादी हैं, किंतु मध्यम अवधि निवेशकों एवं फ्यूचर ट्रेडर्स का बुरा हाल है। निवेश के मूल सिद्धांतों की अवहेलना करते हुए सिर्फ सट्टात्मक गतिविधियों में लगे रहने वाले ट्रेडर्स ही बाजार में आए अप्रत्याशित उतार का आसान शिकार हुए हैं, जबकि दीर्घावधि निवेशकों को थोड़ी चिंता तो हो रही है, किंतु पिछला मुनाफा संबल प्रदान कर रहा है।

बहरहाल, पिछले एक-डेढ़ माह से बाजार में चल रही गतिविधियों से संकेत मिल रहे हैं कि बड़े खिलाड़ी केपिटल गुड्स, बैंकिंग, रियल एस्टेट एवं पॉवर सेक्टर के शेयरों में लगातार मुनाफा वसूली कर रहे हैं तथा थोड़ी-थोड़ी मात्रा में एफएमसीजी एवं फार्मा जैसे सुरक्षित सेक्टर्स की प्रमुख कंपनियों में खरीदी जारी रखे हुए हैं। फार्मा एवं एफएमसीजी सेक्टर के शेयर्स पिछले डेढ़-दो वर्षों से उपेक्षित पड़े थे, क्योंकि उस दौर में ग्रोथ स्टोरी का बोलबाला था।

इसलिए केपिटल गुड्स एवं रियल एस्टेट शेयरों में जोर-शोर से खरीदी चलती थी, किंतु अब ग्रोथ स्टोरी थोड़ी कमजोर पड़ने लगी है इसलिए जानकार निवेशक आकर्षक वेल्यूएशन के आधार पर खरीदी कर रहे हैं। फार्मा सेक्टर में वॉकहार्ड एवं एफएमसीजी सेक्टर में आईटीसी जैसी कई कंपनियाँ मौजूद हैं। इन कंपनियों की प्रगति रफ्तार भी अच्छी है तथा शेयर भाव भी आकर्षक हैं।

दूसरी तरफ तात्कालिक सकारात्मक समाचारों के प्रभाव से भी कुछ सेक्टरों में मजबूती बनी हुई है। इस्पात एवं अन्य धातुओं की कीमतों में लगातार बढ़त के कारण मेटल शेयरों में खरीदी चल रही है। दूसरी ओर क्रूड ऑइल के भाव ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुँचने के प्रभाव से ऑइल एंड गैस सेक्टर के शेयर्स भी मजबूत बने हुए हैं।

प्राइमरी मार्केट में अभी गतिविधियाँ ठंडी पड़ी हुई हैं। हालाँकि बीते सप्ताह लिस्ट हुए रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन के शेयरों ने अधिकतम सीमा तक एप्लीकेशन लगाने वाले निवेशकों को एप्लीकेशन एमाउंट पर लगभग 2 प्रतिशत का लिस्टिंग गेन दिया है, जो कि बाजार के वर्तमान हालात को देखते हुए बहुत अच्छा है।

यदि 15 दिन पहले यह रुपया सेकंडरी मार्केट में लगा दिया जाता तो 5-7 प्रतिशत का नुकसान हो जाता। खैर, इस सप्ताह कोई इश्यू नहीं है। अगले सप्ताह 25 मार्च को किरी डाइज एंड केमिकल्स का इश्यू खुल रहा है। कंपनी 125 से 150 रु. के प्राइस बैंड पर शेयर जारी करेगी। इस सेक्टर के शेयरों में बड़े निवेशकों की विशेष दिलचस्पी नहीं है।

22 जनवरी से 14 मार्च 2008 त
* बीएसई स्मॉल केप इंडेक्स 19.43 प्रतिशत घटा।
* बीएसई रियल्टी इंडेक्स 18.99 प्रतिशत घटा।
* बीएसई बैंकेक्स 18.07 प्रतिशत घटा।
* बीएसई केपिटल गुड्स इंडेक्स 17.46 प्रतिशत घटा।

* बीएसई हेल्थकेयर एवं एफएमसीजी इंडेक्स क्रमशः 9.91 प्रश एवं 9.46 प्रश बढ़े।
* बीएसई मेटल इंडेक्स में 5.18 प्रतिशत की तेजी।
* बीएसई ऑइल एंड गैस इंडेक्स 3.81 प्रतिशत बढ़ा।
* बीएसई ऑटो इंडेक्स 1.42 प्रश बढ़ा।
नोट : इस अवधि में निफ्टी लगभग 3.5 प्रश घटा है।

प्रकाशित लेखों के विचार से संपादक का सहमत होना कतई आवश्यक नहीं है। उनमें दी गई सलाह या दिशा-निर्देश भी लेखकों के अपने हैं, अतः उनके लिए वेबदुनिया उत्तरदायी नहीं है। निवेशकों से अनुरोध है कि वे सोच-समझकर निर्णय लें। -प्र.सं.

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