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दिशाहीनता के दौर से गुजर रहा है बाजार

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, रविवार, 25 मई 2008 (17:16 IST)
- शैलेन्द्र कोठार

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अनिश्चितता के वातावरण में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली के प्रभाव से निफ्टी कुल 211 प्वाइंट्स घटकर 4946 पर बंद हुआ। वैश्विक बाजार में क्रूड ऑइल के रिकॉर्ड भाव के कारण महँगाई और बढ़ने की आशंकाओं के बीच बैंकिंग एवं रियल्टी जैसे इंटरेस्ट रेट सेंसेटिव सेक्टर्स के शेयर तुलनात्मक रूप से ज्यादा गिरे हैं। हालाँकि ऑइल एक्सप्लोरेशन एवं आईटी शेयरों में मजबूती भी बनी हुई है, किंतु विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल नकारात्मक खबरों का प्रवाह ज्यादा है, इसलिए निफ्टी एवं सेंसेक्स दिशाहीन बने रह सकते हैं।

तकनीकी विश्लेषकों का कहना है कि 22 जनवरी को आए क्रेश के बाद से निफ्टी 4500 से 5300 एवं सेंसेक्स 15 से 18 हजार की बड़ी रेंज में घूमकर कंसोलिडेट हो रहा है, इसलिए यह अनुमान लगा पाना मुश्किल है कि दोनों प्रमुख सूचकांक इस बार किस स्तर तक नीचे आएँगे।

बहरहाल निफ्टी और सेंसेक्स के साथ पूरा बाजार भले ही अनिश्चितता की चपेट में हो, किंतु बीएसई ने केजीएन इंडस्ट्रीज एवं सिल्फ टेक्नॉलॉजी जैसे शेयरों को लिस्टिंग के दिन भाव बढ़ाने की खुली छूट देकर इन कंपनियों के इरादे पूरे होने की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी है। हालाँकि दोनों ही कंपनियों के प्रमोटरों ने अनाप-शनाप तरीके से शेयर भाव बढ़ने के कारणों पर अनभिज्ञता जाहिर की है, लेकिन यदि कोई बेवजह कंपनी के शेयर भाव बढ़ा रहा हो तो प्रमोटर्स को अपने पास रखे शेयरों को बाजार में बेचने से भला कौन रोक सकता है?

वाकई कंपनी के प्रमोटर्स बहुत भोले हैं। बाजार में कमाने के ज्यादा अवसर मौजूद नहीं हैं और ऐसे खराब माहौल में केजीएन एवं सिल्फ के प्रमोटर्स रुपया कमाने का अभूतपूर्व मौका गँवा क्यों रहे हैं? फाइनेंशियल सेक्टर से संबंधित रही इन दोनों कंपनियों के प्रमोटर्स को वित्तीय क्षेत्र एवं शेयर बाजार की समझ तो होगी ही। खैर, अब इनके शेयरों के भाव अज्ञात लोग मनमाने तरीके से बढ़ा रहे हैं तो कोई क्या कर सकता है?

आम निवेशक तो हमेशा से ही लाचार थे, हैं और रहेंगे और अब प्रमोटर्स भी लाचार लोगों की श्रेणी में आ गए हैं। बीएसई भी कोई गलती नहीं कर रहा है, क्योंकि सारा काम नियम-कायदों की हद में रहकर किया जा रहा है और रही बात निवेशकों के हितों की तो भैया, बीएसई ने अपनी वेबसाइट पर निवेशकों को शिक्षित करने के लिए एक अलग सेक्शन बना रखा है, जिसमें बताया गया है कि निवेशक क्या करें? क्या न करें।

इसलिए निवेशक समुदाय से उम्मीद की जाती है कि बीएसई जेड ग्रुप के शेयरों में कामकाज करने से पहले उस 'क्या करें, क्या न करें' वाले सेक्शन का नियमित रूप से तीन बार अध्ययन-मनन करें। खबर है कि सेबी भी इस मामले की जाँच करने वाली है... सही है... और सेबी है किस लिए? वर्ष 1999-2000 में केतन पारीख द्वारा टेक्नॉलॉजी शेयरों में की गई प्राइस रिगिंग की सघन जाँच हुई तो फिर केजीएन एवं सिल्फ के भाव बढ़ाने वालों को कैसे छोड़ देंगे? जाँच कीजिए और करते जाइए, कुछ ठोस निष्कर्ष निकले या न निकले इससे क्या फर्क पड़ता है?
प्रकाशित लेखों के विचार से संपादक का सहमत होना कतई आवश्यक नहीं है। उनमें दी गई सलाह या दिशा-निर्देश भी लेखकों के अपने हैं, अतः उनके लिए वेबदुनिया उत्तरदायी नहीं है। निवेशकों से अनुरोध है कि वे सोच-समझकर निर्णय लें। -प्र.सं.

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