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शेयर बाजारों में उठापटक की संभावना

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नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 17 अगस्त 2008 (18:31 IST)
देश के शेयर बाजारों में आगामी सप्ताह उठापटक की अधिक संभावना है। बीते सप्ताह शेयर बाजारों में पाँच हफ्ते से चली आ रही तेजी का सिलसिला थम गया। बीएसई का सेंसेक्स 444 अंक टूटकर एक सप्ताह के बाद फिर 15 हजार अंक से नीचे उतर आया। एनएसई को 99 अंक का झटका लगा।

कच्चे तेल के दामों में गिरावट और विश्व बाजार के रुख को देखते हुए बीते सप्ताह की शुरुआत में बाजार अच्छे मूड में लग रहा था, किंतु ऊँचे भावों पर मुनाफावसूली और औद्योगिक उत्पादन तथा छह प्रमुख बुनियादी सुविधा क्षेत्र के निराशाजनक आँकड़ों से मंगलवार को बाजार टूटने लगा और फिर इससे ऊबर नहीं पाया।

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान में जो कारक नजर आ रहे हैं, उन्हें देखते हुए शेयर बाजारों में उठापटक की अधिक संभावना है।

दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपीटल मार्केट लिमिटेड के प्रमुख अशोक अग्रवाल का कहना है कि कच्चे तेल के दामों में गिरावट सकारात्मक संकेत है, किंतु महँगाई की दर चिंता का विषय है।

अग्रवाल ने कहा कि छठे वेतन आयोग की घोषणा और इसके तहत एक सितम्बर से नई तनख्वाह लोगों को मिलने लगेगी। इस पैसे के बाजार में आने पर माँग बढ़ने से महँगाई की दर पर और दबाव बढ़ सकता है।

महँगाई की दर दो अगस्त को समाप्त सप्ताह में 16 वर्ष के उच्चतम स्तर 12.44 प्रतिशत पर पहुँच गई है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने महँगाई को एक चुनौती बताया है।

बीते सप्ताह चार कारोबारी दिवसों के दौरान बीएसई का सेंसेक्स 443.64 अंक गिरकर 14724.18 अंक रह गया। एनएसई का निफ्टी 98.80 अंक के नुकसान से 4430.70 अंक रह गया। पंद्रह अगस्त को बाजार स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में बंद रहा था।

उधर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सप्ताह के दौरान जारी रिपोर्ट भी बाजार के लिए कोई अच्छी खबर नहीं रही। परिषद के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी की बढ़ोतरी 7.7 प्रतिशत तक रहेगी। वर्ष 2007-08 में यह नौ प्रतिशत रही थी। परिषद ने इस वर्ष जनवरी में जीडीपी में साढ़े आठ प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना जताई थी।

कच्चे तेल की कीमतों के तीन माह के निम्नस्तर तक पहुँच जाने के समाचारों के बीच ऑटोमोबाईल कंपनियों के लिए यात्री कारों की बिक्री में 33 माह के बाद जुलाई के दौरान 1.7 प्रतिशत की गिरावट बुरी खबर रही। भारतीय ऑटोमोबाईल निर्माता संस्था सियाम के मुताबिक जुलाई में यात्री कारों की बिक्री 1.7 प्रतिशत गिरकर 87 हजार 724 कार रह गई।

रिजर्व बैंक की कठोर मौद्रिक नीति के चलते औद्योगिक उत्पादन जून में पिछले साल के 8.9 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 5.4 प्रतिशत रह गई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि पिछले साल के 10.3 प्रतिशत की तुलना में गिरकर 5.2 प्रतिशत रह गई।

सप्ताह के दौरान बीएसई के मिडकैप में 63.55 अंक का नुकसान हुआ। इस वर्ग का सूचकांक 5823.42 अंक रह गया। बीएसई स्मालकैप करीब एक प्रतिशत गिरकर 7110.44 अंक रह गया।

विदेशी संस्थागत निवेशक जो जुलाई माह के अंत तक बिकवाल बने हुए थे, अगस्त में खरीदार दिखे। तेरह अगस्त तक के आँकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थानों ने 986.10 करोड़ रुपए मूल्य की इक्विटी खरीदी है। इस वर्ष संस्थानों की बिकवाली 26 हजार 315 करोड़ 90 लाख रुपए की रही। साझा कोषों ने 12 अगस्त तक 228 करोड 60 लाख रुपए की बिकवाली की है।

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