नई दिल्ली। कारोबार सुगमता के क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाते हुए कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने इस साल दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) का गठन कर नई शुरुआत की है। हालांकि नए कंपनी कानून में आगे और संशोधन करने का काम संसद में बने गतिरोध की वजह से अटक गया।
मंत्रालय ने कंपनी कानून 2013 के लंबित प्रावधानों पर अमल आगे बढ़ाते हुए कंपनी लॉ बोर्ड (सीएलबी) के स्थान पर नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) और साथ ही उसके अपीलीय प्राधिकरण को भी स्थापित कर दिया।
संसद ने जैसे ही विधेयक को पारित कर दिया, उसके बाद भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) अस्तित्व में आ गया। मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का इसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। आईबीबीआई ने आधिकारिक तौर पर 1 दिसंबर से काम करना शुरू कर दिया है। इसके काम शुरू करने से कर्ज में फंसी कंपनियों की समस्याओं का निदान करने में मदद मिलेगी। यह काम समयबद्ध तरीके से हो सकेगा।
आईबीबीआई के गठन के महत्व को रेखांकित करते हुए हाल ही में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसे एक नई शुरुआत बताया। इसमें संकट से जूझ रहीं कंपनियों और शोधन अक्षमता से जुड़े पेशेवरों का आईबीबीआई में पंजीकरण किया जाएगा। कंपनियों के लिए विभिन्न मानदंडों के अनुपालन को सरल बनाने और परेशानियों को दूर करने की सुविधा को देखते हुए कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने मार्च में कंपनी (संशोधन) विधेयक 2016 लोकसभा में पेश किया था।
संशोधन विधेयक पर संसद की स्थायी समिति ने इसी महीने अपनी रिपोर्ट सौंप दी लेकिन संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार कोई कामकाज नहीं होने की वजह से विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी। देश में कामकाज करना सुगम बनाने के लिए मंत्रालय ने कंपनियों गठन की सरल और पूरी तरह से डिजिटल तौर तरीके अपानए जाने की शुरुआत की है।
नए कंपनी कानून में कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) वर्ष के दौरान संबद्ध पक्षों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। मंत्रालय वर्ष के दौरान इससे जुड़े नियमों और उनके अनुपालन को लेकर जद्दोजहद में रहा। वर्ष के दौरान अर्जुन राम मेघवाल ने वित्त राज्यमंत्री का कार्यभार संभाला लेकिन कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय का कार्यभार वित्तमंत्री अरुण जेटली के पास ही रहा।
सीएसआर नियमों के बारे में कई तरह के स्पष्टीकरण जारी करने के बावजूद वर्ष के दौरान मंत्रालय विभिन्न कंपनियों से सीएसआर नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर स्पष्टीकरण मांगता रहा। कंपनियों को उनके सामाजिक दायित्व के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय ने वर्ष के दौरान विभिन्न श्रेणियों में सीएसआर पुरस्कार शुरू किए जाने की दिशा में भी काम शुरू किया।
पिछले महीने ही सरकार ने राज्यसभा को सूचित किया कि वर्ष 2014-15 के दौरान 7,334 कंपनियों के सीएसआर खर्च का आकलन करने के बाद यह संकेत मिलता है कि 4,195 कंपनियों ने इस पर कोई खर्च नहीं किया। वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 3,139 कंपनियों ने 8,803 करोड़ रुपए सीएसआर गतिविधियों पर खर्च किए।
कंपनी कानून 2013 में कंपनियों की कुछ श्रेणियों को अपने 3 साल के वार्षिक लाभ के औसत का कम से कम 2 प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करना होता है। (भाषा)