संकलनकर्ता - श्रीमती चंद्रमणी दुबे
1. ग्यारस माता से मिलन कैसे होय कि पांचों खिड़की बंद पड़ी।
पहली खिड़की खोलकर देखूं, कूड़ा-कचरा होय।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि झाड़ू-बुहारा करती चलूं। ग्यारस माता से...
दूजी खिड़की खोलकर देखूं, गंगा-जमुना बहे।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि स्नान करके चलूं। ग्यारस माता से...
तीजी खिड़की खोलकर देखूं, घोर अंधेरा होय।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि दीया तो लगाती चलूं। ग्यारस माता से...
चौथी खिड़की खोलकर देखूं, तुलसी क्यारा होय।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि जल तो चढ़ाती चलूं। ग्यारस माता से...
पांचवीं खिड़की खोलकर देखूं, सामू मंदिर होय।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि पूजा-पाठ करती चलूं। ग्यारस माता से...
सुन अर्जुन गीता का ज्ञान ।।2।।
ग्यारस के दिन सिर जो धोवे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन सिर जो धोवे, रीछड़ी के अवतार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन चावल जो खावे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन चावल जो खावे, कीड़ा के अवतार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन पलंग पर जो सोवे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन पलंग पर जो सोवे, अजगर के अवतार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन सासू से लड़े, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन सासू से लड़े, बड़-बागल के अवतार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन घर-घर जो जावे, वाको कौन विचार/ सुन अुर्जन...
ग्यारस के दिन घर-घर जो जावे, कुतिया के अववार/ सुन अुर्जन...
3. बातों को कर लो बंद, कथा ग्यारस की सुन लो जी ।।2।।
बिना पुत्र का बाप, खेतों में रोवेजी।
मेरे हका हुआ है खेत, पुत्र बिना कौन जोतेजी।। बातों को...
बिना भाई का भाई, पंचों में रोवे जी।
मेरे भाई बिना कौन, न्याय चुकावे जी।। बातों को...
बिना बहिन का भाई, राखी पे रोवे जी।
सूनी पड़ी कलाई बहिन बिना, कौन राखी बांधेजी।। बातों को...
बिना भाई की बहिन, मण्डप में रोवेजी।
मेरा सूना पड़ा है मण्डप, भाई बिना कौन पहनावेजी।। बातों को...
बिना पति की नार, सेजों पर रोवेजी।
मेरी सूनी पड़ी है सेज, पति बिना कौन सवावेजी।। बातों को...
4. सबेरे म्हारे एकादशीजी, जाड़ा टापू कर जो जी।
जाड़ा टापू कर जो जी, म्हारे घी का डाबर भर जो जी।।
सबेरे म्हारे एकादशीजी, सिंघाड़ा को सीरो करजो जी।
राजगिरा की थूली जी, आठ कांकड़ी नो तुम्हड़ा गेहरो फराल कराजो जी।।
सबेरे म्हारे एकादशीजी, छोराछोरी हेला पाड़े, नहीं बोलन की श्रद्धाजी।
सबेरे म्हारे एकादशीजी, पौ फाटी परोड़ो होयो, राम-राम करजो जी।।
5. करो म्हारा जिवड़ा एकादशी, सियाराम जी बिना मुक्ति कसी।।2।।
दशमी के दिन एकटक करती, ग्यारस करती उपासी ओ राम।
बारस के दिन खोलियो पालनो, साधू ऐं नोत जिमाती ओ राम।। करो म्हारा...
चरणामृत को नेम हमारो, नितमंदिर में जाती ओ राम।
तता-2 फुलक्या करती, साधू एं जा-जाकर मेलती ओ राम।। करो म्हारा...
इन्द्रासन से आई रे पालकी, बहू बैकुण्ठ चली ओ राम।
डगमग-डगमग कई देखो सासूजी, करनी पार उतरती ओ राम।। करो म्हारा...
6.राती जगा को आयो रे बुलावो, राती जगा में कौन जावे री बहू, म्हारे बरत बड़ो एकादशी को।।2।।
राती जगा में थें ही जाओ म्हारी सासू, मैं तो मंदिर जावां जी।। म्हारे बरत...
राती जगा में मीठी-2 लापसी थें ही खाओ सासू, मैं तो म्हाको जनम सुधारांजी। म्हारे बरत...
इन्द्रासन स आई रे पालकी, सासूजी के अंगना में उतरी जी। म्हारे बरत...
सासू-ननदां टक-2 देखे, देरानी-जेठानी टक-2 देखे,
पास-पड़ोसन टक-2 झांके, बहू बैकुंठ चाली ओ राम। म्हारे बरत...
थे कई देखो म्हारी सासू-ननदां, थें कई देखो म्हारी देरानी-जेठानी।
थें कई झांकों म्हारी पास-पड़ोसन, करनी पार उतरनी ओ राम।। म्हारे बरत...
साभार- बारह महीनों की व्रत-कथाएं...