Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Akshaya Tritiya Katha : यहां पढ़ें अक्षय तृतीया की पौराणिक और प्रामाणिक कथा

हमें फॉलो करें Akshaya Tritiya Katha : यहां पढ़ें अक्षय तृतीया की पौराणिक और प्रामाणिक कथा
भविष्य पुराण के अनुसार, शाकल नगर में धर्मदास नामक वैश्य रहता था। धर्मदास, स्वभाव से बहुत ही आध्यात्मिक था, जो देवताओं व ब्राह्मणों का पूजन किया करता था। एक दिन धर्मदास ने अक्षय तृतीया के बारे में सुना कि ‘वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को देवताओं का पूजन व ब्राह्मणों को दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है।’
 
यह सुनकर वैश्य ने अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान कर, अपने पितरों का तर्पण किया। स्नान के बाद घर जाकर देवी-देवताओं का विधि-विधान से पूजन कर, ब्राह्मणों को अन्न, सत्तू, दही, चना, गेहूं, गुड़, ईख, खांड आदि का श्रद्धा-भाव से दान किया।
 
धर्मदास की पत्नी, उसे बार- बार मना करती लेकिन धर्मदास अक्षय तृतीया को दान जरूर करता था। कुछ समय बाद धर्मदास की मृत्यु हो गई। कुछ समय पश्चात उसका पुनर्जन्म द्वारका की कुशावती नगर के राजा के रूप में हुआ। कहा जाता है कि अपने पूर्व जन्म में किए गए दान के प्रभाव से ही धर्मदास को राजयोग मिला। अक्षय तृतीया से जुड़ी कई कथाएं लोगों के बीच प्रचलित हैं।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Akshaya Tritiya Upay :अक्षय तृतीया के 7 सटीक उपाय, जीवन के हर बड़े संकट से बचाए