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शुभ कार्यों के लिए अतिश्रेष्ठ दिन वसंत पंचमी

वसंत ऋतु : समस्त ऋतुओं का राजा

हमें फॉलो करें शुभ कार्यों के लिए अतिश्रेष्ठ दिन वसंत पंचमी
- हेमंत उपाध्याय
IFM

प्रत्येक वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। देवी सरस्वती के इस प्राकट्य पर्व को सर्वसिद्धि दायक पर्व माना जाता है। वसंत पंचमी 28 जनवरी को है। माघ माह में जब सूर्य देवता उत्तरायण रहते हैं ऐसे में गुप्त नवरात्रि के मध्य पंचमी तिथि को लोक प्रसिद्ध स्वयंसिद्ध मुहूर्त के रूप में माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार यह दिन प्रत्येक शुभ कार्यों के लिए अतिश्रेष्ठ माना जाता है। प्रकृति के चितेरों, साहित्य मनीषियों और कवियों ने इस दिन को अपने-अपने तरीके से परिभाषित किया है। यह विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना का दिन है। इस तिथि को वागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी नाम से भी जाना जाता है।

शास्त्रों में कहा गया है कि यदि यौवन हमारे जीवन का वसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है। गीता में भी कहा गया है कि वसंत ऋतु के रूप में भगवान कृष्ण प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होते हैं।

तंत्र शास्त्रों के मुताबिक वसंत पंचमी को आकर्षण और वशीकरण के प्रयोग बहुत ही प्रभावी और शुभ फलदायी होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से पांचवीं राशि के अधिष्ठाता भगवान सूर्य नारायण होते हैं इसलिए वसंत पंचमी अज्ञान का नाश करके प्रकाश की ओर ले जाती है। अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन शादी-विवाह के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती।

विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस : ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र शास्त्री के मुताबिक वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का विशेष पूजन किया जाता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, पद भार, विद्यारंभ, वाहन, भवन खरीदना आदि कार्य अतिशुभ और विशिष्ट होते हैं।

प्रत्येक कार्य का संचालन बुद्धि, विवेक और ज्ञान के आधार पर ही होता है इसलिए विद्या-बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के जन्मदिवस से किसी भी कार्य का शुभारंभ किया जाए तो वह कार्य सफल होगा।

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आचार्य विनायक शास्त्री कहते है कि संवत्सर चक्र का परिवर्तन वसंत पंचमी पर्व का मुख्य हेतु है। यह ग्रीष्म और शीत का संधिकाल है। हमारी सारस्वत शक्तियों के पुनर्जागरण के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। सृष्टि का संयोग इसी दिन से प्रारंभ होता है। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती और भगवान कृष्ण के साथ कामदेव व रति की पूजा की भी परंपरा है। इस माह को मधुमास भी कहा जाता है। सरस्वती को बुद्धि और ज्ञान के साथ ही संगीत एवं कला की देवी भी माना जाता है।

कुछ मुख्य बातें

माघ माह - इस माह को विष्णु का स्वरूप बताया गया है।
शुक्ल पक्ष - इस पक्ष में चंद्रमा प्रबल रहता है।
गुप्त नवरात्रि - सिद्धि साधना के लिए महत्वपूर्ण समय।
सरस्वती जयंती - पुराणों के अनुसार देवी सरस्वती इस दिन ब्रह्मा के मानस से अवतीर्ण हुई थीं।
मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
उत्तरायण सूर्य - देवताओं का दिन।

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