भारतीय संस्कृति में पंचांग, मुहूर्त का बहुत महत्व है। जो हमें किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले बहुत सारी सावधानियां बरतने की सलाह भी देता है।
मुहूर्त के अंतर्गत कुछ विशेष प्रकार की सावधानियों का जिक्र किया गया है। जो निम्नानुसार है। -
रिक्ता तिथियों यानी चतुर्थी, नवमी एवं चतुदर्शी के दिन रोजगार संबंधी कोई भी नया काम नहीं शुरू करना चाहिए। -
शुभ एवं मांगलिक कार्य अमावस्या तिथि में शुरू नहीं करना चाहिए। -
रविवार, मंगलवार एवं शनिवार के दिन समझौता एवं संधि नहीं करनी चाहिए। दिन, तिथि व नक्षत्र का योग जिस दिन 13 आए उस दिन उत्सव का आयोजन नहीं करना चाहिए। -
नन्दा तिथियों एवं प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी तिथि के दिन नवीन योजना पर कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
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देवशयन काल में बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं दिलाना चाहिए। -
बुधवार के दिन उधार देना व मंगलवार को उधर लेना मुहूर्त की दृष्टि से शुभ नहीं माना गया है। -
नए वाहन खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि आपकी राशि से चंद्रमा घात राशि पर मौजूद नहीं हो।-
कोई ग्रह जब उदय या अस्त हो तो उसके तीन दिन पहले और बाद में नया काम नहीं करना चाहिए। -
जन्म राशि और जन्म नक्षत्र का स्वामी जब अस्त, वक्री अथवा शत्रु ग्रहों के बीच हों तब आय एवं जीवन से जु़ड़े विषय को विस्तार नहीं देना चाहिए। -
मुहूर्त में क्षय तिथि का भी त्याग करना चाहिए। -
असफलता से बचने के लिए जन्म राशि से चौथी, आठवीं और बारहवीं राशि पर जब चंद्र हो उस समय नया काम शुरू नहीं करना चाहिए।