Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

शुभ मुहूर्त में करें गणेश विसर्जन

पंचक में न करें गणेश विसर्जन

हमें फॉलो करें शुभ मुहूर्त में करें गणेश विसर्जन
ND

22 सितंबर, बुधवार को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। शास्त्रीय मान्यताओं के आधार पर भगवान श्रीगणेश का विसर्जन भी अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। 20 सितंबर की दोपहर 1.36 मिनट से पंचक लग गया है। लिहाजा भगवान गणेश का विसर्जन दो दिन पहले ही कर देना शास्त्रसम्मत होगा।

गणेश विसर्जन का मुहूर्त :
अनंत चतुर्दशी पर होने वाले गणेश मूर्ति विसर्जन भावमंत्रों तथा नियत स्थान एवं शुभ मुहूर्त में ही किए जाने चाहिए, क्योंकि नियत स्थान पर मर्यादापूर्ण किया विसर्जन ही वास्तव में विसर्जन होता है, अतः शास्त्रीय मान्यता को मानते हुए गणेश मूर्तियों पर केवल जलप्रोक्षण कर विसर्जित करें।

22 सितंबर को चतुर्दशी मध्याह्न 12.30 बजे होने के कारण नियत समय तक गणेश विसर्जन करना ठीक रहेगा। तपश्चात पूर्णिमा रहेगी, जिसमें भद्राकरण योग बना है। अतः भद्रा के पहले उपरोक्त मुहूर्त में विसर्जित कर श्रीगणेश रिद्घि-सिद्घि का संपूर्ण आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा श्राद्घ पक्ष भी पूर्णिमा से माना गया है। श्राद्घपक्ष में विसर्जन करने की अनुमति शास्त्रों में नहीं है

देवताओं पर पंचक का प्रभाव नहीं :
webdunia
ND
पंचक में गणेश विसर्जन को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है। ज्योतिषी डॉ. संतोष कुमार तिवारी का कहना है कि भगवान गणेश अपने आप में विघ्न विनाशक हैं। लिहाजा उनके ऊपर न तो पंचक का प्रभाव होता और न ही भद्रा का। किसी भी शास्त्र में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि देवताओं पर पंचक का प्रभाव होता है।

उन्होंने कहा कि पंचक में पाँच चीजें वर्जित की गई हैं, जिसमें मुर्दे को जलाना, छप्पर छाना, लकड़ी संचय करना और पलंग बनाना प्रमुख है। इन कार्यों को छोड़कर मनुष्य हर काम कर सकता है।

इस संबंध में ज्योतिषी डॉ. दीपक शर्मा का कहना है कि यदि विसर्जन नहीं किया जाए तो कम से कम सिंहासन हिलाकर छोड़ा जा सकता है। सोमवार की दोपहर से लगने वाला पंचक शनिवार की दोपहर 1.31 मिनट तक रहेगा। उन्होंने बताया कि अनंत चतुर्दशी भी इस पंचक के दौरान पड़ रही है।

भगवान अनंत की करें पूजा :
webdunia
ND
इस दिन भगवान अनंत की विधि-विधान से पूजा की जाएगी। इस अवसर पर सुबह स्नान कर चौकी के ऊपर भगवान अनंत की स्थापना कर सिंदूर, हल्दी और चावल आदि से अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद धूप, दीप आदि अर्पित किया जाएगा। इस पूजा में 14 गाँठ वाली अनंत अर्थात् रेशम का धागा भगवान को चढ़ाकर दाहिनी भुजा में बाँधा जाएगा। इस धागे को अनंत भगवान का प्रतीक माना गया है, जो विशेष फलदायी होता है।

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर कौंडिल्य ऋषि ने जब इस धागारूपी अनंत को क्रोध में आकर अग्नि में डालकर अनंत भगवान का अपमान किया था, तब उनका सर्वस्व नष्ट हो गया था। इसके बाद कौंडिल्य ऋषि ने जब पश्चाताप स्वरूप वनों में घोर तपस्या की, तब उन्हें अनंत भगवान ने दर्शन दिया। उन्होंने 14 वर्षों तक अनंत की पूजा करने और अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत धारण करने की सलाह दी। ऐसा करने से तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएँगे।

23 सितंबर से पितृ पक्ष :
ऐसी पौराणिक कथा से प्रेरित होकर जनसामान्य के द्वारा अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत की पूजा कर अनंत धारण किया जाता है। अनंत चतुर्दशी की तिथि तक नवीन वस्तुओं की खरीददारी की जा सकती है। इसके बाद 23 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत होगी, जिससे क्रय-विक्रय एवं नए कार्यों की शुरुआत में न्यूनता परिलक्षित होगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi