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निराशा और अवसाद

कौन से ग्रह हैं जिम्मेदार

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भारती पंडित

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निराशावाद मनुष्य के लिए परेशानी खड़ी करता है। निराशावादी व्यक्ति अपने साथ-साथ परिवार की परेशानी भी बढ़ा देते हैं और अवसादग्रस्त व्यक्ति कई बार आत्महत्या तक की राह में अग्रसर हो जाते हैं। विशेषत: मनचाहा विवाह न होना, परीक्षा में असफलता, नौकरी न मिलना जैसी घटनाएँ व्यक्ति को पलायन के लिए उकसाती हैं।

व्यक्ति को ‍निराशावादी व अवसादग्रस्त बनाने में ग्रहों की बड़ी भूमिका होती है। कुंडली में सूर्य का आत्मबल का कारक है, चंद्रमा मन की शक्ति का कारक है तथा गुरु बुद्धि व ज्ञान का कारक है। यदि किसी कुंडली में ये तीनों ग्रह कमजोर हों, शत्रु क्षेत्री हो या पाप प्रभाव में हो तो व्यक्ति घबराने वाला, निराश होने वाला व वास्तविकता से पलायन करने वाला होता है।

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ऐसी कुंडली में यदि सूर्य पर राहु-केतु का प्रभाव हो, चंद्रमा भी शनि से प्रभावित हो तो व्यक्ति वस्तुस्थिति का सामना करने की बजाय उससे भागना चाहता है और अत्यधिक निराशा की स्थिति में आत्महत्या का मार्ग भी अपना सकता है।

कर्क व मकर लग्न में यदि यह प्रभाव हो तो व्यक्ति तुरंत अवसाद से ग्रस्त हो जाता है।

उपाय : यदि कुंडली में ये लक्षण प्रकट हो रहे हों तो सूर्य के दर्शन व गायत्री मंत्र का पाठ करें।

* चंद्रमा को बली करने के लिए सफेद वस्त्रों का प्रयोग करें, माता की सेवा करें, चंद्रमा की रोशनी में 'ऊँ सोमाय नम:' का जाप करें।

* बृहस्पति को मजबूत करने के लिए माता-पिता, गुरु गाय व केले के वृक्ष की सेवा करें। मंदिर में जाएँ। पुस्तकें पढ़ें व पीली वस्तुओं का उपयोग करें।

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