बीसा यंत्र को रवि-पुष्य, रवि-हस्त, गुरु-पुष्य, नवरात्रि, धनतेरस, दीपावली या सूर्य-चंद्रग्रहण में लाभ के चौघड़िए में शास्त्रोक्त विधि से तैयार किया जाना चाहिए। शुभ मुहूर्त में अनार की डाली तोड़कर पत्थर पर घिसकर कलम तैयार करनी चाहिए।
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दीपावली के पूर्व आने वाले पुष्य नक्षत्र में, धनतेरस या दीपावली के दिन लाभ के चौघड़िए में घर में, पूजागृह में, मंदिर, दुकान या व्यापार के स्थान पर ईशान कोण की पश्चिम मुखी दीवार पर शुद्ध घी-सिंदूर से इन्हें अंकित करना चाहिए। इससे सुख-समृद्धि एवं वैभव बना रहता है। शुभ मुहूर्त में 'ओम् हीं हीं श्रीं श्रीं क्रीं क्रीं स्थिरां ओम्' का 11 बार जाप करें, साथ में लक्ष्मीजी एवं गणेशजी के अष्टकम् स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके साथ लक्ष्मीजी-गणेशजी की पूजा करें तो उत्तम रहेगा।
समस्या, तनाव, विपत्ति दूर करने के लिए तथा शत्रुनाश हेतु निम्नांकित बीसा यंत्रों को विधिवत तैयार करके पूजा-आराधना करनी चाहिए। साथ ही दुर्गा देवी के दुर्गा स्तोत्र का वाचन शीघ्र लाभ करता है।
कहावत है-
'वो करे यंत्र बीसा,
जो कर न सके जगदीशा'