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ये कुरान असली नहीं: एक किताब में दावा

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, शनिवार, 11 सितम्बर 2010 (18:42 IST)
- जुबैर अहमद (वॉशिंगटन)
BBC

फ्लोरिडा में क़ुरान जलाए जाने के एक पादरी टेरी जोन्स की धमकी के बाद अब 21 सितंबर को अमेरिका में 'द टॉप सीक्रेट' नाम से एक उपन्यास छपने जा रहा है जिसमें मुसलमानों की इस पवित्र किताब के असली होने पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया है।

मुसलमानों को दृढ़ विश्वास है कि क़ुरान अल्लाह के शब्द हैं जो उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद के जरिए प्रकट किए हैं। लेकिन इस किताब की लेखिका टेरी केलहॉक कहती हैं कि क़ुरान को कई बार बदला गया है और जो क़ुरान इस समय मौजूद है वह इसका वास्तविक स्वरूप नहीं है। वर्जीनिया के कारी इरशाद को पूरा क़ुरान याद है।

वे कहते हैं, 'शुरू के जमाने से ही क़ुरान को कंठस्थ करने की परंपरा रही है इसीलिए इसमें बदलाव लाना संभव ही नहीं। लोगों ने कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए।'

'हकीकत पर आधारित'
हालाँकि यह एक उपन्यास है, लेकिन लेखिका टेरी केलहॉक के अनुसार 'यह हकीकत पर आधारित है'। उनका कहना है, 'आज के मुसलमान क़ुरान का जो एडीशन पढ़ते हैं वो दरअसल 1924 में मिस्र की राजधानी काहिरा में प्रकाशित हुआ था। यह प्राचीन क़ुरान से अलग है।'

अपने दावों को सही साबित करने के लिए उन्होंने कहा कि बलात्कार पर पत्थर मारने और माँ का दूध पिलाने पर जो पंक्तियाँ प्रकट हुई थीं वो क़ुरान का हिस्सा नहीं हैं। इस तरह के दावे पहले भी किए जा चुके हैं, लेकिन इससे मुसलामानों के अकीदे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

इमाम सैयद शहाब : वो कहती हैं, 'पैगम्बर के मरने के बाद अव्यवस्था के माहौल में यह पंक्तियाँ खो गईं। आयशा (पैगम्बर की पत्नी) के बिस्तर के नीचे यह पंक्तियाँ रखी थीं जो आयशा के अनुसार एक जानवर खा गया। तो बलात्कार करने पर पत्थर मारने की सजा शरिया का हिस्सा है, लेकिन क़ुरान से ये पंक्तियाँ गायब हैं।'

जब उनसे पूछा कि उनके इन दावों से मुसलामानों को ठेस नहीं पहुँचेगी तो उन्होंने कहा, 'यह सच है। इसे टेरी केलहॉक ने इजाद नहीं किया है तो सच से डरना कैसा?'

लेकिन उन्होंने साफ किया कि वो यह नहीं कह रही हैं कि क़ुरान के शब्द ईश्वरीय या खुदा के शब्द नहीं हैं पर इस उपन्यास के जरिए यह कोशिश कर रही हैं कि वो लोगों को बता सकें कि क़ुरान में कई बार फेरबदल किया गया है।

वॉशिंगटन के एक इमाम सैयद शहाब ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'इस तरह के दावे पहले भी किए जा चुके हैं, लेकिन इससे मुसलामानों के अकीदे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।'

'द टॉपकैपी सीक्रेट' नाम की यह किताब अमेजन डॉटकॉम पर बिकनी शुरू हो गई है।

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