Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

एक अमेरिका जो सिर्फ पीछे की सोचता है!

- ब्रजेश उपाध्याय (वॉशिंगटन)

हमें फॉलो करें एक अमेरिका जो सिर्फ पीछे की सोचता है!
एक समलैंगिक किसी दुकान पर जाए कुछ खरीदने, क्या दुकानदार को ये आजादी है कि वह उसे सामान बेचने से इनकार कर दे?
BBC

अमेरिका के एरिजोना राज्य में स्थानीय विधायकों ने कुछ गुटों के दबाव में प्रस्ताव पारित कर दिया कि धार्मिक स्वतंत्रता उस दुकानदार को आजादी देती है कि वह समलैंगिक व्यक्ति के साथ व्यापार नहीं करे क्योंकि समलैंगिकता उसकी धार्मिक भावनाओं पर चोट करती है।

जाहिर था पूरे देश में हंगामा मच गया। टीवी चैनलों पर बहस तीखी हो गई। अखबारों के पन्ने रंगने लगे। किसी ने कहा धर्म खतरे में है, तो दूसरा पक्ष था कि किसी इंसान के सेक्सुअल रुझान को उसकी आस्था के खिलाफ नहीं देखा जाना चाहिए।

बात और बढ़ती इसके पहले एरिजोना की गवर्नर ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करके इसे कानून बनने से रोक दिया।

समलैंगिकता पर रोज हंगामा : समलैंगिकता एक ऐसी बहस है जो हर दूसरे-तीसरे दिन यहां किसी न किसी कोने में सिर उठा ही लेती है।

पिछले दिनों नेशनल फुटबॉल लीग के एक उभरते सितारे ने सार्वजनिक रूप से घोषित कर दिया कि वह समलैंगिक हैं। हंगामा तब भी मचा। दलील ये भी दी गई कि लॉकर रूम में ज्यादातर खिलाड़ी बेरोकटोक कपड़े बदलते हैं, उन खिलाड़ियों की इज्जन खतरे में हैं। खिलाड़ी जिस तरह के व्यायाम करते हैं खेल से पहले उस दौरान वहां किसी समलैंगिक का होना उन्हें अटपटा लग सकता है।

दलील को ज्यादातर लोगों ने नकार दिया। लेकिन उस खिलाड़ी की मुश्किलें खत्म हो गई हों ऐसा नहीं है।

सेलिब्रिटी की चर्चा ज्यादा : जब भी वह मैदान पर उतरता है कमेंटेटर दर्शकों को ये याद दिलाना नहीं भूलते कि समलैंगिक खिलाड़ी मैदान पर उतर रहा है।
webdunia
BBC

जब भी कोई दुनिया के सामने ऐलान करता है कि वह समलैंगिक है वो एक बड़ी घटना की तरह पेश होती है। अगर वह कोई सेलिब्रिटी है तो टीवी और अखबारों में चर्चा होती है, अगर वह आम इंसान है तो उसके घर-परिवार में हंगामा मचता है। अंग्रेजी में इसे कमिंग आउट या पर्दे से बाहर निकलना कहा जाता है।

मुझे लगता है कि जब कोई फौजी कुछ बड़ा करता है तो उसकी तारीफ होती है, जब कोई खिलाड़ी दूसरों को पीछे छोड़ता है तो उसे वाहवाही मिलती है लेकिन उस वक्त कोई ये नहीं कहता है उसकी यौन रुचि किस तरह की है। तो समलैंगिकों के साथ ये विशेष बर्ताव क्यों?

अमेरिकी फौज में बरसों तक ये कानून था कि अगर पता चल जाए कि महिला या पुरुष सैनिक समलैंगिक है तो उन्हें फौज छोड़ना होगा। नियम था डोन्ट आस्क, डोन्ट टेल- यानि न हम पूछेंगे न तुम बताओ।

बराक ओबामा ने 2011 में ये कानून खत्म कर दिया तो फौज में समलैंगिकों की जिंदगी थोड़ी आसान हुई।

सामाजिक सोच : कुछ साल पहले मैं घोर रूढ़िवादी कहे जाने वाले राज्य टेक्सास गया था और मुझे पता चला कि उस राज्य में अमेरिका का सबसे बड़ा समलैंगिक चर्च है। वहां अपने बच्चों के साथ आए समलैंगिक जोड़ों ने मुझसे और अन्य पत्रकारों से पूछा कि क्या आपको लगता है कि हम इन बच्चों को किसी और पारंपरिक परिवार के मुकाबले कम प्यार देते हैं?

उनका कहना था कि इन बच्चों को यही लगता है कि उनके दो पिता हैं या फिर दो मां हैं। लेकिन जैसे-जैसे ये बड़े होते जाते हैं तो सामाजिक सोच उनके लिए मुश्किलें पैदा करने लगती है।

देखा जाए तो ये भेदभाव उन मामलों से बहुत अलग नहीं है जहां गोरे दुकानदार ने काले ग्राहक को सामान बेचने से मना कर दिया, या किसी हिंदू ने अपना मकान किराए पर देने से इसलिए मना किया क्योंकि किराएदार मुसलमान था।

नागरिक अधिकारों की स्वतंत्रता हो या या मजहबी आजादी इन्हें बड़ी आसानी से तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है।

ईंट और गारे की दीवार जब बरसों पुरानी हो जाती है तो ढ़हने लगती है, लेकिन वो दीवार जो कभी मजहब की बुनियाद पर तो कभी पूर्वाग्रहों के चट्टानों से दिलों के अंदर बनती वो तभी टूटती हैं जब कोई उन्हें तोड़ना चाहे।

अमेरिका में अब एक बड़ा तबका है जो समलैंगिकता की बहस को पीछे छोड़ चुका है, लेकिन एक ताकतवर तबका अभी भी है जिसकी पीछे देखने की लत छूटती ही नहीं।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi