Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नवजात ने दी बच्चों को रोशनी

हमें फॉलो करें नवजात ने दी बच्चों को रोशनी
पीएम तिवारी, कोलकाता से बीबीसी हिंदी के लिए , बुधवार, 12 नवंबर 2008 (23:01 IST)
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के एक दंपत्ति ने अपने नवजात बच्चे की आँखें दान कर एक मिसाल पेश की है। इस दंपत्ति के यहाँ शादी के चार साल बाद बच्चा पैदा हुआ था, लेकिन जन्म के पंद्रह दिन बाद ही उसकी मौत हो गई।

उनके इस फैसले से अब दो दृष्टिहीन बच्चों के जीवन में रोशनी आ गई है और वे इस खूबसूरत दुनिया को देखने के लायक हो गए हैं।

BBC
मिसाल : कोलकाता से सटे हावड़ा जिले के सांतरागाछी में रहने वाले शुभदीप और डोला सांतरा ने इस फैसले से डॉक्टरों के साथ-साथ अपने घरवालों और पड़ोसियों का भी दिल जीत लिया है।

डोला शादी के चार साल बाद पहली बार गर्भवती हुई थीं। उन्हें 26 अक्टूबर को एक स्थानीय नर्सिंग होम में दाखिल कराया गया था। अगले ही दिन उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया था।

नवजात शिशु जन्म के समय से ही गंभीर हृदय रोग से पीड़ित था। उसे सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में रखा गया था। वहाँ उसकी मंगलवार सुबह मौत हो गई।

इससे सांतरा दंपत्ति टूट गए, लेकिन दुःख की इस घड़ी में भी उन्होंने धैर्य नहीं खोया और डॉक्टरों से पूछा कि क्या वे अपने बच्चे के अंग दान कर सकते हैं।

शुभदीप एक मोबाइल फोन कंपनी में काम करते हैं। बच्चे की मौत के बाद वे और उनकी पत्नी सदमे में हैं और किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं।

शुभदीप के एक दोस्त इंद्रजीत राय कहते हैं बच्चे की मौत के बाद जब दोनों ने उसके अंग दान करने की इच्छा जताई तो हमने रामराजातला नवीन संघ आई बैंक और मेडिकल कॉलेज अस्पताल से संपर्क किया।

आई बैंक के स्वपन पांजा कहते हैं पहले तो हमारे डॉक्टर ऐसा अनुरोध सुन कर हैरत में पड़ गए। इससे पहले उन लोगों ने कभी इतने छोटे शिशु की कार्निया नहीं निकाली थी।

पहली बार : वे बताते हैं अब तक जो सबसे छोटा कार्निया निकाला गया था, वह चार महीने के एक शिशु का था, उसे 2005 में कोलकाता के टालीगंज इलाके में निकाला गया था, लेकिन हमने राज्य सरकार के आई बैंक के निदेशक से बात की।

उन्होंने कहा ऐसा किया जा सकता है। इसके बाद मंगलवार दोपहर सांतरा दंपत्ति के मृत शिशु का ॉर्निया निकालकर राज्य सरकार के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थालमोलॉजी को सौंप दिया गया है। पहले बच्चे के जन्म के दो हफ्ते बाद ही उसे खोने के गम में डूबे होने के बावजूद इस दंपति ने जो फैसला किया, वह दूसरों के लिए मिसाल बन सकता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi