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मोदी के तीखे और आक्रामक होते हमले

- सतीश मिश्रा (सीनियर फेलो, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन)

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, बुधवार, 2 अप्रैल 2014 (17:35 IST)
BBC
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने 30 मार्च को एक रैली में कहा, 'मोदी बकवास कर रहे हैं और उनका इलाज कराने की जरूरत है।' देश के सबसे मंझे हुए राजनेता के तौर पर देखे जाते हैं शरद पवार। उन्हें उनकी राजनीतिक समझ और बुद्धिमता के लिए जाना जाता है। लेकिन उनका बयान बताता है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लोगों में तेज़ी से बढ़ी है।

निश्चित तौर पर मोदी के भाषण देने की कला की कोई तुलना नहीं हो सकती, बावजूद इसके उनके भाषण भी विवादों को खड़ा करते रहे हैं। ऐसे भाषणों से कुछ में रोष पैदा होता है तो कुछ को पसंद आते हैं।

आक्रोश, अकड़ और व्यंग के मामले में मोदी अपने विपक्षी नेताओं से कमतर नहीं नजर आते। वे अपने विपक्षियों पर हमले करने में निर्मम हैं और इस दौरान ये ख्याल नहीं करते कि उनके शब्द अशिष्ट और असभ्य होते जा रहे हैं।

आक्रामक मोदी : वे बिना थके और बिना रुके पूरे देश का दौरा कर रहे हैं और इस दौरान खुद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं ताकि देश की जनता एक दशक बाद भारतीय जनता पार्टी को सरकार सौंपे।

यह भी हकीकत है कि मोदी प्रधानमंत्री पद की अपनी महत्वाकांक्षा को सालों से सहेज रहे थे। उन्हें अपने विरोधियों और लक्ष्य के बारे में बखूबी मालूम होता है और दौरे से पहले वह स्थानीय जानकारियां हासिल कर लेते हैं।

निश्चित तौर पर कांग्रेस और धर्मनिरपेक्ष पार्टियां उनके निशाने पर हैं। हालांकि वे इन पार्टियों पर कितना तीखा हमला करेंगे यह रैली विशेष में जुटी भीड़ पर निर्भर करता है।

राजनीतिक शुरुआत के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ बिताए समय से ही 'कांग्रेस मुक्त भारत' उनकी सोच में शामिल हो चुका था और अब यह उनके जीवन का लक्ष्य बन चुका है। उन्हें यह मालूम है कि कांग्रेस को कमजोर किए बिना वे दिल्ली की सत्ता हासिल नहीं कर सकते।

यही वजह है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनके सभी भाषण में निशाने पर होते हैं।

निशाने पर कांग्रेस और मुसलमानों पर नजर...


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निशाने पर कांग्रेस : अपने भाषण को दिलचस्प बनाने की कला पर मोदी ने सालों तक मेहनत की है और अब वे हालात और भौगोलिक जरूरतों को देखते हुए अपनी रैली के लिए शब्द चुन रहे हैं।

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे जम्मू में 26 मार्च को बोलते हुए मोदी ने तीन एके को अपने निशाने पर लिया। एक 47 बंदूक, रक्षा मंत्री एके एंटनी और अरविंद केजरीवाल। उन्होंने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये तीनों एके पाकिस्तान को मजबूत कर रहे हैं।

उन्होंने इस बहाने पाकिस्तान विरोधी मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की और सशस्त्र सेना के जवानों और उनके परिवारों को अपना चुनावी संदेश दे दिया। उन्होंने अपना बयान उसी दिन दिल्ली में आयोजित रैली में भी दोहराया।

दरअसल मोदी अपना होमवर्क बेहतर ढंग से कर रहे हैं। ऐसे में उनके तर्क अकाट्य होते हैं। इसकी झलक पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर में दिए उनके भाषण के दौरान देखने को मिली। जब उन्होंने दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के उद्देश्य से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने वडोदरा से नरेंद्र रावत को इसलिए चुनाव मैदान से हटाया क्योंकि रावत एक दलित हैं।

राहुल गांधी पर निशाना साधने के साथ-साथ उन्होंने दलित मतदाताओं को भी जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने अपना यही तर्क बिहार के सासाराम जिले की रैली में भी दिया, जहां अच्छी खासी संख्या में दलित मतदाता मौजूद हैं।

मुस्लिम मतदाताओं पर नजर : बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभुत्व वाले इलाकों में गुजरात के मुख्यमंत्री ने विकास की बात करते हुए कहा कि माओवादी विद्रोहियों के हाथों में बंदूक के बजाए खेती-किसानी के उपकरण होंगे। उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि यह झारखंड जैसे राज्य वाजपेयी सरकार की देन हैं।

गौतम बुद्ध की नगरी गया में उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र की यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद और आतंकवादियों दोनों पर शिकंजा कसा जाना चाहिए लेकिन क्या यह काम पटना और दिल्ली की सरकार कर रही है। उन्होंने कहा, 'लोग मरें या बम फूटे, कांग्रेस को कोई परवाह नहीं।'

जिन इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा होती है, वहां वे गुजरात के विकास की बात करते हुए कहते हैं कि उनके शासनकाल के दौरान गुजरात के अल्पसंख्यकों का भी विकास हुआ है। उन्होंने बिहार के पूर्णिया में लोगों से अपील की वे विकास के लिए आगे आएं और गुजरात ब्रांड की धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दें।

हालांकि जब वे अपने विरोधियों पर हमला करते हैं तो उनका गुस्सा काफी ज्यादा होता है, यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में 29 मार्च को हुई रैली में साफ नजर आया जब उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा था। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी के बारे में कहा था कि यह विभाजन की राजनीति करने वाली पार्टी है।

इसका जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा पर गर्व है क्योंकि यह त्याग और सेवा पर आधारित है।

हालांकि उनके आलोचक ऐतिहासिक तथ्य और भौगोलिक स्थिति के बारे में उनकी गलतियों की आलोचना करते हैं, लेकिन मोदी जानते हैं कि उनके मतदाताओं को इसकी परवाह नहीं।

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