वोट तो लेते रहेंगे, कभी पानी भी देंगे...
, शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014 (13:14 IST)
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हमारी गाय भी खारा पानी पीने को मजबूर है। मैं सुबह पांच बजे उठकर घर की झाड़-बुहारी, गाय का बाड़ा साफ़ करना, उसे चारा देना, दूध निकालना...सब काम करती हूं। उसके बाद हम पानी भरने जाते हैं। बहुत देर से जाएं तो तेज धूप हो जाती है, सूरज तपने लगता है और पैर के नीचे रेत।'माथे पर घड़े रखकर दो मील जाना और फिर आना, आसान नहीं है पर क्या करें? हर तरफ रेत के टीले...हरियाली के नाम पर खेजड़ी, बबूल और जाल के पेड़ और खुशनुमा रंगों के नाम पर महज कैर के बौर और नागफनी की झाड़ियों के फूल।रेगिस्तान की तपती दुपहरी में सन्नाटा तोड़ती ऊंट गाड़ी की रुनझुन। बाड़मेर ज़िला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर दूर बसा है गांव जुड़ियां, ग्राम पंचायत झणकली, तहसील शिव।26
साल की मूली सिंह इसी गांव में छह साल पहले बहू बनकर आई। मायका चौहटन भी इसी जिले में है पर वहां पानी की बेरियां, टांके हैं गांव के नज़दीक। इसलिए मीठे पानी की भारी किल्लत नहीं। ससुराल में आकर देखा कि यहां तो 'मीठा पानी है ही नहीं तो लाएं कहां से?'अनमोल है पानी : मीठा पानी यानी पीने का पानी। मूली सिंह के लिए गले की प्यास का मतलब है पांवों के सहारे मीलों चलना। वह जब पानी के बारे में बताने लगीं तो हमें लगने लगा कि पानी वाकई अनमोल है।
उन्होंने कहा, 'हम लोग 1000-800 रुपए देकर मीठे पानी का टैंकर मंगाते हैं। कितने दिन चलेगा ये और इतने पैसे लाएं कहां से? सबसे मोटा खर्चा पानी का ही है।'उन्होंने कहा कि अपने बच्चों पर भी उतना खर्च नहीं करते जितना पानी के लिए। घी ढुल जाए, तो उतनी तकलीफ़ नहीं होती जितना पानी की एक बूंद बर्बाद होने से। घी तो हमारी गाय दे देती है पर पानी?'
मेरी सास भी जब से शादी होकर आईं, कई मील दूर से पानी लेकर आ रही हैं। अब मैं भी वही करती हूं। मैं क्या, पूरे गांव की सभी लड़कियों, बहुओं, औरतों को पानी लेने जाना पड़ता है- करीब दो मील दूर। पर वह भी खारा है। खारे पानी में साबुन लगता नहीं है, बर्तन अच्छे साफ़ होते नहीं हैं, बाल गिरते हैं सो अलग।'उन्होंने कहा कि गांव में कोई अच्छी सुविधाएं नहीं हैं पढ़ाई की। एक सरकारी स्कूल है आठवीं क्लास तक का। पर एक दिन खुलता है तो सात दिन बंद। मास्टर तो पहुंचते ही नहीं, बस यहां आती नहीं। बाहर का मास्टर यहां रहना नहीं चाहता। सूट नहीं करता यहां का खारा पानी उन्हें।'
हम हर चुनाव में वोट डालते हैं जिससे हमारे नेता हमें कुछ सुविधाएं दें। पर सब वादे तो खूब करते हैं पर पूरे नहीं करते। वोट लेकर चला जाए, वह नेता किस काम का।'अगले पन्ने पर जारी...
बस वादे : उन्होंने कहा, 'वादे तो सब करते हैं- मीठे पानी का, लड़कियों के लिए स्कूल का, पर पूरा करते नहीं। आदर्श नेता तो ऐसा ही होना चाहिए न! उसका कर्तव्य तो यही है पर सब मुकर जाते हैं।'