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2012: भगवान को खोज लाया विज्ञान

हमें फॉलो करें 2012: भगवान को खोज लाया विज्ञान
, शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012 (13:26 IST)
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थम जाएगी उम्र : ढलती उम्र को थामकर हमेशा जवान रहने की कोशिश इंसान ने हमेशा की है, लेकिन इस साल पिट्सबर्ग के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में कामयाबी हासिल करने का दावा किया।

वैज्ञानिकों के मुताबिक बूढ़े हो रहे चूहों के शरीर में जब नौजवान चूहों के शरीर से निकाली गई मांसपेशी जनित स्टेम कोशिकाएं डाली गईं तो आम चूहों के मुकाबले उनका जीवनकाल तीन गुना तक बढ़ गया।

पिट्सबर्ग के मैक्गोवेन इंस्टीट्यूट फॉर रिजेनरेटिव मेडिसिन से जुड़े शोधकर्ता जॉनी हुआर्ड के मुताबिक इस प्रयोग के लिए इन चूहों में अनुवांशिक बदलाव किए गए। जल्दी बूढ़े होने वाले इन चूहों की मांसपेशियों की पड़ताल कर शोधकर्ताओं ने जाना कि इनकी स्टेम कोशिकाएं ‘शिथिलता’ की शिकार थीं।

इन चूहों में जब युवा चूहों की स्टेम कोशिकाएं डाली गईं तो न सिर्फ इनकी आयु तीन गुना तक बढ़ी बल्कि चूहों की सेहत में तेजी से सुधार हुआ।
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सबसे ऊंची छलांग : ऑस्ट्रिया के स्काई डाइवर फेलिक्स बॉमगार्टनर ने इस साल आसमान में 39 किलोमीटर की ऊंचाई से छलांग लगाने के कारनामे का कर एक रिकॉर्ड कायम किया।

बॉमगार्टनर की छलांग का सीधा प्रसारण गूगल की वीडियो साइट यूट्यूब पर 80 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा। गार्टनर ने हीलियम गुब्बारे से अंतरिक्ष के पास तक पहुंचने के बाद छलांग लगाई और एक हजार किमी प्रति घंटे से भी ज्यादा की रफ्तार से धरती की ओर आए।

इस तरह उन्होंने 1960 में आसमान में सबसे ऊंचाई से छलांग लगाने का रिकॉर्ड तोड़ा।

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खुद तारा बन गए नील : चांद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग इस साल दुनिया को अलविदा कह गए। बयासी वर्ष की आयु में शनिवार को उनका निधन हो गया। कुछ ही दिनों पहले उनकी बाइपास सर्जरी हुई थी।

जुलाई 1969 को अपोलो-11 मिशन का नेतृत्व करते हुए नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा था। इस दौरान उन्होंने कहा था, 'मनुष्य के लिए यह एक छोटा कदम, पूरी मानव जाति के लिए बड़ी छलांग साबित होगा।'

नील आर्मस्ट्रॉंग ने पहली बार हवाई जहाज़ 16 बरस की उम्र में उड़ाया। इस समय तक वो कार चलाना भी नहीं जानते थे। चांद से वापस आने पर जब नील आर्मस्ट्रॉंन्ग से पूछा गया कि चांद पर पहला कदम रखने के बाद उन्हें कैसा महसूस हुआ तो उन्होंने कहा कि बहुत बहुत छोटा
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मिलेंगी नई धमनियां : साल 2012 में मई का महीना हृदय रोगियों के लिए उम्मीद की एक किरण लेकर आया। इसराइल में वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक मरीज की त्वचा की कोशिकाओं से स्वस्थ हृदय मांसपेशी कोशिकाएं बनाने में कामयाबी हासिल की।

वैज्ञानिकों ने जो कोशिकाएं तैयार कीं, वे बिल्कुल स्वस्थ हृदय मांसपेशी कोशिकाओं जैसी थीं। जब इन धड़कती कोशिशकाओं को एक चूहे में प्रत्यारोपित किया गया, तो उन्होंने आसपास मौजूद हृदय ऊतकों से जुड़ना शुरू कर दिया।

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आगे चलकर इस स्टेम सेल थेरेपी को हृदय रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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डिस्कवरी का आखिरी सफर : अमेरिकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी को उसकी आखिरी उड़ान के बाद इस साल अमेरिकी संग्रहालय की शोभा बढ़ाने के लिए रखा गया। संग्रहालय में शामिल होने वाला ये पहला अंतरिक्ष यान बना।

वॉशिंगटन स्थित स्मिथसोनियन नेशनल एअर एंड स्पेस अमेरिकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी का वॉशिंगटन स्थित स्मिथसोनियन नेशनल एअर एंड स्पेस म्यूजियम में समारोहपूर्वक स्वागत किया गया।

डिस्कवरी सबसे पुराना बचा हुआ अंतरिक्ष यान है। 1984 से शुरू करके इसने 39 मिशन पूरे किए। अंतरिक्ष सबसे पुराना बचा हुआ अंतरिक्ष यान है। 1984 से शुरू करके इसने 39 मिशन पूरे किए।
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ईश्वर कण की खोज : जुलाई 2012 में स्विटजरलैंड में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि हिग्स कण की खोज कर ली गई है। हिग्स बोसोन या God Particle विज्ञान की एक ऐसी अवधारणा रही है जिसे अभी तक प्रयोग के जरिए साबित नहीं किया जा सका था।

‘हिग्स बोसोन’ से कणों को भार मिलता है। यह सुनने में सामान्य है लेकिन अगर कणों में भार नहीं होता तो न तारे बन सकते थे, न आकाशगंगाएं होंती और परमाणु भी नहीं होते। कुलमिलाकर ब्रह्रांड कुछ और ही होता।

हिग्स बोसोनके बारे में पता लगाना भौतिक विज्ञान की सबसे बड़ी पहेली माना जाता रहा है। लंबे समय से वैज्ञानिक हिग्स कण की मौजूदगी के बारे में ठोस सबूतों की खोज कर रहे थे। चार जुलाई 2012 को यह घोषणा की गई कि खोज प्रारंभिक है लेकिन इसके ठोस सबूत मिले हैं।

God Particle के जरिए वैज्ञानिक ये साबित करने में जुटे थे कि कणों में भार क्यों होता है। वैज्ञानिकों की अब ये कोशिश होगी कि वे पता करें कि ब्रह्मांड की स्थापना कैसे हुई होगी।

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खिसक गया हिमयुग : जलवायु परिवर्तन को लेकर साल की शुरुआत में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक इंसानी गतिविधियों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन ने अगले हिम युग के प्राकृतिक समय चक्र को बिगाड़ दिया है।

माना जाता है कि पिछला हिम युग कोई 25 लाख 80 हजार साल पहले आरंभ होकर 11 हजार साल पहले समाप्त हुआ। अगला हिम युग कब आएगा इसका सटीक आकलन फिलहाल नहीं किया जा सका है। पृथ्वी की कक्षा और वातावरण से मिली जानकारियों के मुताबिक अगला हिम युग अगले 1500 साल बाद आने के आसार हैं लेकिन पृथ्वी के बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के चलते यह समयकाल आगे खिसकने की संभावना है।

शोधकर्ताओं ने साबित किया है कि मौजूदा कार्बन उत्सर्जन में अगर तुरंत प्रभाव से कमी भी कर दी जाए तो वातारण में उसका जमाव अगले 1000 साल तक रहेगा। इस कार्बन में समुद्र के जरिए इतनी गर्मी सोखने की क्षमता है जो तेजी से ध्रुवीय बर्फ के पिघलने और समुद्री जल स्तर के बढ़ने के लिए काफी है।
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स्वादिष्ट होंगे टमाटर : ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने इस साल टमाटर के समस्त जीन समूह का लेखाजोखा तैयार किया जिसका मकसद अगले पांच साल में टमाटर की कई बेहद स्वादिष्ट किस्में तैयार करना है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके जरिए जल्द ही सुपर मार्केट में भी घरों और किचन गार्डन में उगे बेहतरीन, स्वादिष्ट टमाटर उपलब्ध हो पाएंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस तरह सब्जियां उगाने में कीटनाशकों का प्रयोग कम से कम होगा। यह तरीका दूसरी सब्जियों पर भी लागू किया जा सकता है।

पिछले 20 साल में ब्रिटेन में मिलने वाले टमाटरों की किस्मों लगातार बढ़ोतरी हुई है। कई लोगों का मानना है कि ये नई किस्में टमाटर के स्वाद की कीमत पर पैदा की गई हैं।

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सच में होंगे स्पाइडर मैन? : अमेरिका के व्योमिंग विश्वविद्यालय में इस साल वैज्ञानिकों ने अनुवांशिक रूप से परिवर्तित रेशम के ऐसे कीड़े विकसित किए जिनके बनाए रेशम के धागे की मजबूती बेहद ज्यादा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि उनका मकसद ऐसे रेशम का उत्पादन करना है जो मकड़ी के जाल की तरह लचीला और कहीं ज्यादा मजबूत हो। तुलनात्मक स्तर पर आंका जाए तो मकड़ी का बनाया जाल स्टील से भी अधिक मजबूत होता है।

वैज्ञानिक लंबे समय से ऐसा धागा बनाने की कोशिश में जुटे हैं जो स्पाइडर मैन की हकीकत को साकार कर सके। रेशम के कीड़ों में बदलाव के जरिए बनाए गए मजबूत रेशम को इस दिशा में एक सफलता माना गया है।
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सबसे ताकतवर कंप्यूटर : अमेरिका में बनी ‘टाइटन’ मशीन को इस साल दुनिया के सबसे ताकतवर ‘सुपर कंप्यूटर’ का दर्जा दिया गया। यह कंप्यूटर एक सेकेंड में एक ‘क्वाड्रिलियन’ (गणनाओं को मापने की इकाई जिसमें एक अंक के बाद 15 शून्य होते हैं।) गणनाएं कर सकता है।

दुनियाभर में मौजूद सुपर कंप्यूटर की सूची में सबसे अधिक संख्या अमेरिका के कंप्यूटरों की है। इसके बाद 72 ‘सुपर कंप्यूटर’ के साथ चीन दूसरे नंबर पर आता है।

जैग्वार असैनिक काम में जुटा पहला ऐसा सुपरकंप्यूटर था जिसने एक सेकेंड में एक ‘क्वाड्रिलियन’ गणनाएं की थीं। जून 2010 तक ये घरती पर मौजूद सबसे ताकतवर कंप्यूटर था। ‘सुपर कंप्यूटर’ टाइटन में लगभग 19,000 प्रोसेसर हैं और इसकी मेमरी क्षमता 710 टेराबाइट है।

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सूर्य पर काला धब्बा : छह जून 2012 को एक दुर्लभ खगोलीय घटना घटी जिसमें शुक्र ग्रह ने सूर्य के सामने से गुजरते हुए एक खूबसूरत नजारा पेश किया। पृथ्वी से देखने पर शुक्र ग्रह सूरज पर एक छोटे काले धब्बे जैसा दिखा।

सूर्य के सामने शुक्र का ये परागमन अगली बार 105 वर्ष बाद देखने को मिलेगा। उत्तरी और मध्य अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका सहित ये नजारा एशिया के अधिकतर इलाकों में देखा गया।

टेलीस्कोप के अविष्कार के बाद ये नजारा अब तक सात बार ही दर्ज किया गया है। इससे पहले आए शुक्र परागमन को 1631, 1639, 1761, 1769, 1874, 1882 और 2004 में देखा गया था।
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इस साल के नोबल विजेता : ये तस्वीरें हैं साल 2012 में विज्ञान क्षेत्र के नोबल पुरस्कार विजेताओं की। चिकित्सा विज्ञान के लिए संयुक्त रूप से नोबल जीता जॉन बी गर्डन और शिन्या यामानाका ने वयस्क कोशिकाओं से जुड़ी एक खोज के लिए।

भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में सर्गी हारोश और डेविड वाइनलैंड ने संयुक्त रुप से नोबल दिया गया। रसायन शास्त्र के क्षेत्र में जी-प्रोटीन संबंधी अपने अध्ययन के लिए नोबल मिला रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज और ब्रायन कोबिल्का को।

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