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हमारा भोजन कैसा हो

क्या खाएँ, क्या न खाएँ

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गायत्री शर्मा

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हम भोजन को केवल उदरपूर्ति का साधन मानकर ही ग्रहण करते हैं तो वो भोजन हमें आत्मिक शांति व आनंद नहीं प्रदान करता है।

भोजन के हर कण-कण में ऊर्जा व आनंद छुपा है। अन्न के हर एक निवाले को यदि हम शांतिपूर्वक प्रेम से ग्रहण करेंगे तो वह हमें असीम सुख देने के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य भी प्रदान करेगा।

भोजन का हमारे आचार-विचार से गहरा नाता है। हम जैसा अन्न खाते हैं, वैसा ही हमारा आचरण होता है। इसका आकलन हमारी भोजन के प्रति रुचि से लगाया जा सकता है। सात्विक व पौष्टिक भोजन हमारे तन व मन दोनों के लिए बेहतर होता है।

  प्रकृति ने हमें पेड़-पौधों के रूप में कई सारे वरदान दिए हैं। कई सब्जियाँ तो शारीरिक व्याधियों में रामबाण औषधि की तरह कार्य करती हैं। कुछ किस्म के 'डायटरी फाइबर' तो केवल पौधों से प्राप्त वस्तुओं में ही पाए जाते हैं।      
* कैसा हो हमारा भोजन :-
हमारे शरीर के विकास के लिए प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज आदि की निश्चित मात्रा होनी चाहिए। भोजन में इन सभी पोषक तत्वों से परिपूर्ण संतुलित आहार का सेवन हमें स्वस्थ, बलशाली व बुद्धिमान बनाता है।
भोजन हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। जब हमारे शरीर में भोजन के माध्यम से पोषक तत्व प्रवेश करेंगे, तभी हमारा शरीर बीमारियों का मुकाबला कर पाएगा।

* शाकाहार सर्वोत्तम आहार :-
'शाकाहार' आज पूरी दुनिया में एक ट्रेंड के रूप में उभर रहा है, जिसके पीछे एकमात्र कारण माँसाहार से उपजने वाली कई बीमारियों से निजाद पाना है। आज पूरी दुनिया के माँसाहारी लोग शाकाहार को अपना रहे हैं।

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प्रकृति ने हमें पेड़-पौधों के रूप में कई सारे वरदान दिए हैं। कई सब्जियाँ तो शारीरिक व्याधियों में रामबाण औषधि की तरह कार्य करती हैं।

कुछ किस्म के 'डायटरी फाइबर' तो केवल पौधों से प्राप्त वस्तुओं में ही पाए जाते हैं। ये फायबर ब्लड कोलेस्ट्राल को कम करते हैं और डायबिटीज आदि रोगों से बचाव भी करते हैं।

* कितना खाया जाए :-
इस दुनिया में जितने लोग भुखमरी से मरते हैं उससे कहीं अधिक व्यक्ति आवश्यकता से अधिक खाने से मरते हैं। हमें भोजन उतना ही करना चाहिए, जितना हमारे शरीर के लिए आवश्यक हो। गले तक ठूँस-ठूँसकर भोजन करना हमें उस वक्त महँगा पड़ता है जब डॉक्टरों की जेबें भरकर अपनी इस आदत के दुष्परिणाम भुगतते हैं।

  इस दुनिया में जितने लोग भुखमरी से मरते हैं उससे कहीं अधिक व्यक्ति आवश्यकता से अधिक खाने से मरते हैं। हमें भोजन उतना ही करना चाहिए, जितना हमारे शरीर के लिए आवश्यक हो।      
हमारा शरीर भी एक मशीन है, जो दिन भर साँस लेना, रक्त की शुद्धि करना, भोजन को पचाना आदि महत्वपूर्ण कार्य करता है। हमारी तरह इसे भी आराम की आवश्यकता होती है।

यदि हम सप्ताह में एक दिन अनाज को त्यागकर सलाद व फलों का सेवन करके दे सकते हैं। ऐसा करने पर हमारे पाचन तंत्र व गुर्दे आदि पर दबाव हल्का हो जाता है और हमारे शरीर का अनेक बीमारियों से बचाव भी।

'खाना हमारे लिए है, हम खाने के लिए नहीं है' यदि हम इस सिद्धांत को स्वस्थ शरीर का मूल मंत्र मानकर भोजन की उचित मात्रा को प्रेम से ग्रहण करेंगे, तो नि:संदेह ही वह भोजन हमारे शरीर के लिए फायदेमंद साबित होगा।

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