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क्या यह झूठ नहीं है...?

हमें फॉलो करें क्या यह झूठ नहीं है...?
- अनहद

एक विज्ञापन में बताया जा रहा है कि राजा- महाराजा सोने-चाँदी के बर्तनों में खाते थे, इसीलिए उनका दिमाग बहुत तेज रहता था। यह बात बहुत कारणों से आपत्तिजनक है। सोने-चाँदी के बर्तनों में खाने वाले राजाओं में क्या इतनी अक्ल नहीं थी कि मिल-जुलकर रहें? मुगलों ने आकर हम पर राज किया और अँगरेजों ने भी। इस लिहाज से चीनी मिट्टी के बर्तनों में खाना ज्यादा ठीक है। अकबर-बीरबल के विनोद में देखा जाए, तो अकबर से ज्यादा हाजिर जवाब बीरबल हैं।

यह विज्ञापन बौद्धिक प्रतिभा को सामंतवाद से भी जोड़ता है। फिर यह भी देखा जाए कि क्या वाकई सोना-चाँदी खाया जा सकता है? क्या सोना-चाँदी खाने के लिए है? क्या हमारा पेट सोने-चाँदी को पचा सकता है? जिन लोगों में लौह तत्व की कमी हो जाती है, उन्हें क्या लोहे का बुरादा खिलाया जाता है? क्या किसी डॉक्टर ने किसी मरीज से कहा है कि तुम्हारे शरीर में चाँदी की कमी है या तुम्हारा सोना कम हो गया है? कुछ लोग यह विश्वास करते हैं कि स्वर्ण भस्म वगैरह खाने से पुंसत्व बढ़ता है। पर यह तय नहीं कि कितनी स्वर्ण भस्म या चाँदी की भस्म सेहत के लिए ठीक है। इस पर कभी प्रयोग नहीं हुए। जिस वैद्य ने जितना चाहा स्वर्ण भस्म दवा में डालकर खिला दिया। हर साल कितने ही लोग गुर्दों की नाकामी से परेशान होते हैं और कुछ मरते भी हैं। कारण यही कि बड़ी मात्रा में स्वर्ण भस्म खा जाते हैं। यह हुआ कि न तो सोने-चाँदी के बर्तनों में खाने से बुद्धि बढ़ने का कोई वैज्ञानिक आधार है और न सोना-चाँदी की भस्म खाने से किसी और तरह का फायदा होने का। हाँ नुकसान जरूर होते हैं। यह भी हमारी सदियों पुरानी गरीबी और भूख को जाहिर करता है कि कुछ लोग जहाँ भूखे सोते हैं, वहीं कुछ लोग सोचते हैं कि अमीर आदमी सोना चाँदी खाते हैं।

भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए संस्था भी है, पर बहुत से और भी विज्ञापन हैं, जो हमारी सेहत से खिलवाड़ करते हैं। बहरहाल ये सोने-चाँदी वाला विज्ञापन एक पौष्टिक आहार का है जिसमें फिलहाल शाहरुख खान लोगों को सोना-चाँदी खिला रहे हैं। पहले सौरव गांगुली भी खिलाया करते थे। एक हाजमे की गोली का विज्ञापन कहता है कि जमकर खाओ, अगर बदहजमी हुई तो ये गोली है न। होना यह चाहिए कि ज्यादा खाने को गलत बताया जाए। कहा जाए कि फिर भी अगर ज्यादा खाने से या किसी अन्य वजह से बदहजमी हो जाए, तो हमारी अमुक गोली खाइए। एक प्रेशर कुकर के विज्ञापन में बताया जाता था कि बॉस कर्मचारी के घर आता है, घर पर उसे अमुक प्रेशर कुकर में बना जायकेदार खाना खिलाया जाता है, बॉस खुश होकर तरक्की दे देता है। यह विज्ञापन रिश्वतखोरी और खुशामद को बढ़ाता है। यह विज्ञापन कहता है कि तरक्की बेहतर काम करने से नहीं मिलती, बॉस को खिलाने-पिलाने से मिलती है। हमारे विज्ञापन हमारी सोच का आईना हैं। इसीलिए बहुत से विज्ञापन आपत्तिजनक भी हैं।

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