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ये शाहरुख खान का बड़प्पन है : ईशा देओल

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ईशा देओल को उनके पिता धर्मेंद्र नहीं रोकते तो शायद आज वो फुटबॉल के मैदान पर देश का नाम रोशन कर रही होतीं। राष्ट्रीय स्तर की फुटबाल खिलाड़ी रहीं ईशा को धर्मेंद्र ने बतौर अभिनेत्री भी फिल्म इंडस्ट्री में आने से रोकने की पूरी कोशिश की। पर ईशा ने इतने विरोध के बाद भी न सिर्फ इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई, बल्कि आज अपने पिता धर्मेंद्र को भी ये कहने पर ये मजबूर कर दिया कि काश, मैंने अपनी बिटिया पर इतनी बंदिशें न लगाई होती। ईशा से पंकज शुक्ल की एक खास बातचीत :

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अपनी मां के बंगले पर बने विशालकाय रिहर्सल हॉल में बैठी ईशा की बातों से एहसास होता है कि उनकी अगली फिल्म टेल मी ओ खुदा उनके लिए कितनी अहम है। शाहरुख खान की फिल्म रा वन के साथ फिल्म रिलीज करने के देओल परिवार के फैसले से वो भी खुश हैं, साथ ही खुशी इस बात की भी है कि खुद शाहरुख खान ने उनकी फिल्म कामयाब होने की दुआ की है।

ईशा बताती हैं, ये शाहरुख खान का बड़प्पन है कि वो न सिर्फ हमारी इस फिल्म के म्यूजिक रिलीज फंक्शन में आए, बल्कि उन्होंने हमें ढेर सारी मुबारकबाद भी दी। शाहरुख को मम्मी ने अपनी फिल्म दिल आशना है में पहला मौका दिया था और ये बात वो आज भी अगर मानते हैं तो इससे उनकी शख्सि यत का अंदाजा हर किसी को हो जाता है।

टेल मी ओ खुदा का निर्देशन करने से पहले हेमा मालिनी ने दिल आशना नाम की जिस फिल्म का निर्देशन किया था, उसकी कहानी भी कुछ-कुछ एक नायिका के अपनी जड़ों की तलाश की कहानी ही थी। ईशा इस बात से सहमत नजर नहीं आतीं।

वह कहती हैं कि उस फिल्म में दिव्या भारती का जो किरदार था वो मेरे किरदार से बिल्कुल अलग है। इस फिल्म में मैं एक नामचीन लेखिका हूं जिसे एक दिन यूं ही अचानक पता चल जाता है कि उसे गोद लिया गया था। इसके बाद वो अपने वास्तविक माता-पिता की तलाश में निकलती है, जिसमें उसकी मदद उसके दो दोस्त करते हैं। ये फिल्म कई देशों में घूमती है और इसकी कहानी देखते हुए दर्शक खुद को इसके साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।

अपने दोनों बेटों सनी और बॉबी के लिए जहां धर्मेंद्र ने खुद फिल्में बनाईं, वहीं अपनी बेटी के लिए हेमा ने अब जाकर ये फिल्म बनाई है। तो क्या ईशा को इस बात का गिला नहीं रहा कि उन्हें परिवार का वैसा साथ नहीं मिला जैसा बाकी स्टार पुत्रों या पुत्रियों को मिलता है?

ईशा ने डबडबाई आंखों और रुंधे हुए गले के साथ अपनी बात कही, नहीं, मुझे तो ऐसा कभी नहीं लगा। बल्कि, मॉम का तो मुझे हमेशा साथ ही मिला। उन्होंने ही हमें दुनिया से अकेले अपने दम पर मुकाबला करना सिखाया। रही बात सनी और बॉबी भैया की तो दोनों हमें सपोर्ट करते हैं।

ईशा के करियर में एक खास दिक्कत ये भी रही कि उनकी फिल्मों का चयन अक्सर गलत होता रहा। वह बताती हैं कि मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ कि जो कहानी मुझे सुनाई गई वो फिल्म बनते-बनते कुछ और ही हो गई। मैं नाम नहीं लेना चाहती ऐसे निर्देशकों का लेकिन, हां मैंने अपनी गलतियों से सबक सीखे हैं।

सनी-बॉबी जैसा प्यार मिले ईशा को
ईशा के पिता धर्मेन्द्र कहते हैं - ‘बेटियां जब बड़ी होती हैं, तो हर मां-बाप की उनको लेकर कुछ हसरतें होती हैं। हां, ये सही है कि मैंने ईशा को बाहर जाने से काफी रोका। मैं मानता हूं कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है। फिल्मों में मैं उसे इसलिए नहीं आने देना चाहता था कि ये इंडस्ट्री हर किसी के समझ में नहीं आती। यहां रोज जीना और रोज मरना होता है। पर मुझे फख्र है कि ईशा ने अपना नाम अपने बूते कमाया है। मैंने उसे लॉन्च नहीं किया तो क्या हेमा ने तो फिल्म बनाई। दोनों बातें एक ही हैं। मेरी अपने चाहने वालों से यही गुजारिश है कि जो प्यार उन्होंने मेरे दोनों बेटों सनी और बॉबी को दिया, वही प्यार ईशा को दें।‘

ईशा ने कमाल का अभिनय किया है
ईशा की मां हेमा मालिनी कहती हैं -‘सबकी दुलारी होने के बावजूद उसके अंदर इच्छाशक्ति कमाल की है। नृत्य में वो पारंगत है और इसके अलावा सामाजिक विषयों पर भी उसकी सोच अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व है। उसने अपने करियर को अपने हिसाब से बनाने की कोशिश की और इसमें उसे कभी कामयाबी तो कभी नाकामी मिली। अब उसे जब लगा है कि उसे टेल मी ओ खुदा जैसी फिल्म की जरूरत है तो मैं उसके लिए फिल्म बना रही हूं। जिन लोगों ने भी फिल्म की झलकियां देखीं हैं, वो ईशा की तारीफ करते नहीं थक रहे।‘

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