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भूपेन हजारिका : दुनिया में बिखेरा लोक संगीत का जादू

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मुंबई , शनिवार, 5 नवंबर 2011 (18:25 IST)
असम के लोकसंगीत के माध्यम से हिंदी फिल्मों में जादुई असर पैदा करने वाले ‘ब्रह्मपुत्र के कवि’ भूपेन हजारिका ने ‘दिल हूम हूम करे’ और ‘ओ गंगा बहती हो’ में अपनी विलक्षण आवाज से भी लाखों लोगों को अपना प्रशंसक बना लिया।

पेशे से कवि, संगीतकार, गायक, अभिनेता, पत्रकार, लेखक, निर्माता और स्वघोषित ‘यायावर’ हजारिका ने असम की समृद्ध लोक संस्कृति को गीतों के माध्यम से पूरी दुनिया में पहुंचाया।

उनके निधन के साथ ही देश ने संस्कृति के क्षेत्र की एक ऐसी शख्सियत खो दी है, जो ढाका से लेकर गुवाहाटी तक में एक समान लोकप्रिय थी।

सादिया में 1926 में शिक्षकों के एक परिवार में जन्मे हजारिका ने प्राथमिक शिक्षा गुवाहाटी से, बीए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से और पीएचडी (जनसंचार) कोलंबिया विश्वविद्यालय से की। उन्हें शिकागो विश्वविद्यालय से फैलोशिप भी मिली।

अमेरिका में रहने के दौरान हजारिका जाने-माने अश्वेत गायक पॉल रोबसन के संपर्क में आए, जिनके गाने ‘ओल्ड मैन रिवर’ को हिंदी में ‘ओ गंगा बहती हो’ का रूप दिया गया, जो वामपंथी कार्यकर्ताओं की कई पीढ़ियों के लिए एक तरह से राष्ट्रीय गान रहा।

कई साल पहले एक राष्ट्रीय दैनिक को दिए साक्षात्कार में हजारिका ने अपने गायन का श्रेय आदिवासी संगीत को दिया था। दादासाहब फाल्के पुरस्कार विजेता हजारिका ने इस साक्षात्कार में कहा था कि मैं लोकसंगीत सुनते हुए ही बड़ा हुआ और इसी के जादू के चलते मेरा गायन के प्रति रुझान पैदा हुआ।

भूपेन दा को गायन कला उनकी मां से मिली है, जो उनके लिए लोरियां गातीं थीं। मैंने अपनी मां की एक लोरी का इस्तेमाल फिल्म ‘रुदाली’ में भी किया है। उन्होंने अपना पहला गाना ‘विश्व निजॉय नोजवान’ 1939 में 12 साल की उम्र में गाया।

असमी भाषा के अलावा हजारिका ने 1930 से 1990 के बीच कई बंगाली और हिंदी फिल्मों के लिए गीतकार, संगीतकार और गायक के तौर पर काम किया। उनकी लोकप्रिय हिंदी फिल्मों में लंबे समय की उनकी साथी कल्पना लाजमी के साथ की ‘रुदाली’, ‘एक पल’, ‘दरमियां’, ‘दमन’ और ‘क्यों’ शामिल हैं।

हजारिका को ‘चमेली मेमसाब’ के संगीतकार के तौर पर 1976 में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा उन्हें अपनी फिल्मों ‘शकुंतला’, ‘प्रतिध्वनि’, और ‘लोटीघोटी’ के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी दिया गया। साल 1967 से 1972 के बीच असम विधानसभा के सदस्य रहे हजारिका को 1977 में पद्मश्री से नवाजा गया। (भाषा)

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