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इशकजादे : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें इशकजादे : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

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निर्माता : आदित्य चोपड़ा
निर्देशक : हबीब फैजल
संगीत : अमित त्रिवेदी
कलाकार : अर्जुन कपूर, परिनीति चोपड़ा
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 16 रील * 2 घंटे 15 मिनट
रेटिंग : 2/5

पहाड़ों जितनी पुरानी कहानी है ‘इशकजादे’ की। हबीब फैजल और आदित्य चोपड़ा ने मिलकर कहानी लिखी है, लेकिन कुछ नया नहीं सोच पाए। हजारों बार स्क्रीन पर इस तरह की कहानी देखी जा चुकी है। अलबत्ता फिल्म का ट्रीटमेंट, लोकेशन और मुख्य कलाकारों का अभिनय जरूर बेहतर है इसलिए फिल्म थोड़ी अलग-सी लगती है।

कहानी आप भी जान लीजिए। लड़की अलग धर्म की है और लड़का अलग धर्म का। दोनों के खानदान के बीच जानी दुश्मनी है। दोनों भी पहले एक-दूसरे से नफरत करते हैं, लेकिन फिर प्यार हो जाता है। इसके बाद दोनों के खानदान उनके खून के प्यासे हो जाते हैं।

इस घिसी-पिटी कहानी में ट्विस्ट ये दिया गया है कि दोनों के परिवार राजनीति में हैं। परमा (अर्जुन कपूर) के दादा और जोया (परि‍णीति चोपड़ा) के पिता चुनाव के मैदान में आमने-सामने हैं। चुनाव प्रचार के दौरान परमा को सब के सामने जोया थप्पड़ जमा देती है। इसका बदला वह उसे प्यार के जाल में फंसा और चुपचाप शादी करके लेता है।

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शादी के बाद सुहागरात मनाकर वह जोया को छोड़ देता है। उसका बदला पूरा हो गया। ऐसा ही कुछ मामला पिछले दिनों रिलीज हुई हेट स्टोरी में भी था। परमा को जोया जानवर से इंसान बनाती है और परमा सचमुच उससे प्रेम करने लगता है।

कहानी में दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं। पहला जोया का परमा से प्रेम करना। हालांकि परमा सिर्फ अपना बदला लेने के लिए जोया से इश्क करने का नाटक रचता है, लेकिन जोया का अचानक उसकी तरफ आकर्षित हो जाना, परमा पर यकीन कर गुपचुप शादी कर लेना विश्वसनीय नहीं है।

जोया को जिस तरह की तेज-तर्रार लड़की बताया गया है, उसका परमा जैसे मवाली पर इतना यकीन करना हजम नहीं होता। दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु है परमा का हृदय परिवर्तन। उसका जोया को प्यार करना। इसके लिए जो प्रसंग रचा गया है वो खास प्रभावित नहीं करता।

निर्देशक हबीब फैजल ने इस घिसी-पिटी कहानी को नए तरीके से पेश किया है। एक छोटे शहर का बैकड्रॉप और वहां होने वाली राजनीति को उन्होंने जीवंतता के साथ पेश किया है। उन्होंने कुछ सीन बेहतरीन फिल्माए हैं, जिसमें से एक का उल्लेख जरूरी है कि जोया और परमा ढूंढते हुए उनके घर वाले एक जगह साथ पहुंचते हैं। अपना राजनीतिक प्रभाव कायम रखने के लिए वे जोया और परमा की हत्या करना चाहते है। वहां वे अपनी दुश्मनी, स्वार्थ और अपना धर्म भूलकर साथ हो जाते हैं।

हबीब ने अपने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है। कहने को ये अर्जुन कपूर की पहली फिल्म है, लेकिन उन्होंने परमा की जो बॉडी लैंग्वेज पकड़ी है वो कमाल की है। छोटे शहर के दबंग छोकरे, जो करते पहले हैं और सोचते बाद में हैं, का किरदार उन्होंने पूरी ऊर्जा और त्रीवता के साथ पेश किया है।

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लेडिस वर्सेस रिकी बहल में अपने अभिनय से प्रभावित करने वाली परिणीति चोपड़ा ने एक बार फिर दमदार एक्टिंग की है और क्लाइमेक्स में उनका अभिनय देखने लायक है।

आरती बजाज की एडिटिंग, रंजीत बारोट का बैकग्राउंड स्कोर और हेमंत चतुर्वेदी का कैमरावर्क फिल्म को रिच लुक देता है। अमित त्रिवेदी का म्युजिक ठीक-ठाक है और हिट गीत की कमी अखरती है।

कुल मिलाकर ‘इशकजादे’ का पैकेजिंग अच्छा है, लेकिन माल-पुराना है।

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