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मल्लिका : प्रतिभा और लागत की किफायत

हमें फॉलो करें मल्लिका : प्रतिभा और लागत की किफायत

दीपक असीम

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निर्माता : परसेप्ट पिक्चर्स, ग्लोरियस एंटरटेनमेंट
निर्देशक : विल्सन लुईस
कलाकार : समीर दत्तानी, शीना नय्यर, सुरेश मेनन, हिमांशु मल्लिक, राजेश खेरा, अर्जुन महाजन

सबसे कम प्रतिभा भूत-प्रेत की फिल्म बनाने में लगती है और सबसे कम लागत भी। सबसे बड़ा कलाकार तो फिल्म में भूत ही होता है। यही कारण है कि कोई भी हॉरर फिल्म बनाने वाला अपनी फिल्म में बड़े सितारों को नहीं लेता। शाहरुख, आमिर, सलमान, संजय दत्त, अभिषेक, अमिताभ... भूत के सामने ये बेचारे क्या हैं?

हीरोइनों में भी करीना, कैटरीना, रानी, प्रियंका आदि ने कभी भूत की फिल्म में काम नहीं किया। भूत की फिल्म में हीरोइन का भी क्या काम? भूत भले ही पुल्लिंग हो और डायन स्त्रीलिंग, मगर असल में तो भूत उभयलिंगी होते हैं। हीरो का भी काम करते हैं और हीरोइन का भी।

जिसे अच्छा डायरेक्शन सीखना है, उसे पहले भूत-प्रेत की फिल्मों से हाथ साफ करना चाहिए। विल्सन लुइस ने भी यही किया है। उनकी फिल्म "मल्लिका" पर रामगोपाल वर्मा से लेकर रामसे ब्रदर्स तक की फिल्मों का असर है।

वही अनजानी जगह पर भूत खड़ा दिख जाना। फिर अचानक खूब तेज संगीत, हीरोइन का चीखना। इस तरह की फिल्मों में एक हीरोइन होती है। इसका काम होता है कम और छोटे कपड़े पहनकर दर्शक का ध्यान भटकाना और ये बात भुलाना कि दर्शक भुतहा फिल्म देख रहा है। जब दर्शक को देह-दर्शन करा दिए जाते हैं तो फिर भूत निकाला जाता है कि प्यारे असल मेनू तो ये भूत है। देह तो चटनी है, सलाद है।

कहानी के कई पैटर्न होते हैं। एक पैटर्न सपने वाला है। आत्मा सपने में आती है और कहती है कि मेरा यहाँ मर्डर हुआ है। अंत में एक तांत्रिक आता है और कहता है कि मैं आत्मा को बुलाकर उसे मुक्त कर देता हूँ। ऐसी फिल्में दर्शकों को विज्ञान युग से निकालकर किसी ओझा के घर पटक देती हैं। सदियों से सींचा गया अंधविश्वास और गहरा हो जाता है।

शहरी आदमी भी ऊपर से मशीनों का इस्तेमाल करने वाला होता है। कम्प्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल... मगर दिमाग के स्तर पर उस आदिवासी से बेहतर नहीं होता, जो अपने अनाम देवी-देवताओं के आगे मुर्गा और शराब चढ़ाता है। आधुनिक होना कुछ और बात है।

बहरहाल भूत-प्रेत की फिल्मों की लागत भी कम होती है। बिजली की भी बचत होती है, क्योंकि अधिकांश सीन अँधेरे में ही फिल्माए जाते हैं। हीरो-हीरोइन नहीं होते, खलनायक नहीं होते। गाने नहीं होते, संगीत नहीं होता। मल्लिका भी इसी तरह की फिल्म है। हर तरह की किफायत इस फिल्म में है। भूत हैं, खोपड़ी है, डायन है, हवेली है, किला है, अँधेरा है, छोटे कपड़े पहनने वाली हीरोइन है। आगे आप खुद समझदार हैं।

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