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खाली समय का उपयोग करें

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, मंगलवार, 5 जून 2012 (19:39 IST)
किसी मनोवैज्ञानिक ने कहा था कि- 'मुझे यह बता दीजिए कि अमुक व्यक्ति अपने खाली समय को कैसे बिताता है, मैं यह बता दूंगा कि वह किस तरह का व्यक्ति है।' जब भी आप थोड़े-बहुत समय के लिए खाली हों उस मनोवैज्ञानिक का यह वाक्य याद कर लीजिए।

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अगर खाली वक्त में आपको यह वाक्या याद आ जाए तो तो ऐसा लगने लगता है कि मानो कि इस खाली वक्त में कोई न कोई मुझे देख रहा है। और यदि मैंने कोई गलत काम किया तो निश्चित रूप से मुझे देखने वाला यह व्यक्ति बाहर जाकर दुनिया को चिल्ला-चिल्लाकर बता देगा कि मैं क्या गलत काम कर रहा था और इसलिए आप कोई भी गलत काम करने से बच जाते हैं। क्या आप नहीं समझते कि यह एक बहुत बड़ी बात है?

कई लोग ऐसा मानते हैं कि यदि कोई सचमुच में युवक है तो उसके पास खाली समय होगा नहीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि युवक का मतलब है- ऊर्जा से भरपूर रहना। और जो व्यक्ति ऊर्जा से भरपूर रहेगा, उसके पास भला खाली समय बच ही कैसे सकता है, क्योंकि ऊर्जा का तो यह स्वभाव ही होता है कि वह हमेशा बाहर आने को बेताब रहती है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि युवाओं के पास एकदम ही खाली समय नहीं होता।

कुछ न कुछ खाली समय तो ठीक उसी तरह बच ही जाता है, जैसे कि रेत के ढेर के बीच-बीच में छुटी हुई थोड़ी-थोड़ी जगह। आप कभी समय निकालकर थोड़ी गंभीरता के साथ यह सोचें कि आप अपने इस खाली वक्त का इस्तेमाल कैसे करते हैं? इसकी एक छोटी-सी सूची बनाएं। इसके बाद उस सूची का मनोवैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण करें।

विश्लेषण इस रूप में करें कि क्या मुझे अपने खाली समय का इस्तेमाल इसी प्रकार करना चाहिए? खुद से यह प्रश्न करें कि क्या मेरे पास कोई और विकल्प है, जहां मैं अपने खाली समय का इस्तेमाल कर सकता हूं? यह भी जानने की कोशिश करें कि खाली समय का इस तरह इस्तेमाल करने से मुझे कितना लाभ है और कितना नुकसान। इस कसौटी पर आप अपने खाली समय के इस्तेमाल को कसकर अपने लिए कुछ अच्छे निष्कर्ष निकाल सकते हैं।

अधिकांश युवा अपने खाली समय को 'मौज-मस्ती करने का समय' के रूप में लेते हैं। मौज-मस्ती से न तो कोई विरोध है, न ही ऐतराज। आप जीवन के जिस पड़ाव पर हैं, वहां थोड़ी-बहुत मौज-मस्ती जरूरी जैसी है। यदि आप नहीं कर रहे हैं, तब यह बात थोड़ी-सी अटपटी होगी अन्यथा ऐसा होना ही चाहिए। लेकिन गड़बड़ी वहां होती है, जब यह मौज- मस्ती ही आपके जीवन के केंद्र में आ जाती है।

इस बारे में जापान के महान फिल्म निर्देशकअकीरा कुरोसाबा का कथन याद आता है, जो उन्होंने अपने शिष्यों से कहे थे। कुरोसाबा ने कहा था- 'मौज मनाओ, खूब उल्लास मनाओ। लेकिन याद रखो कि यदि वह सीमा से बाहर चला जाता है, तो वह अश्लील बन जाता है।' बस यहीं पर आकर खतरे की घंटी बजने लगती है अन्यथा मौज-मस्ती आपकी क्षमताओं को बढ़ाने का काम करती है, उसे नष्ट करने का नहीं। जरूरत केवल इस बात की है कि उसमें एक संयम हो, अनुशासन हो।

गर्मी के दिनों में प़ढ़ने वाले युवा अपने स्कूल और कॉलेज से मुक्त हो चुके होते हैं। अन्य कामों में लगे युवकों के पास भी इस वक्त खाली समय थोड़ा अधिक हो जाता है। वैसे भी सूरज का 5 बजे से लेकर 7 बजे तक चमकना अपने आप में खाली वक्त के खजाने में इजाफा करता है।

अपने खाली समय का सदउपयोग अपने शौक पूरे करने में कीजिए। ऐसे काम कीजिए जो आप सामान्यत: व्यस्त रहने के कारण नहीं कर पाते हैं। कुल मिलाकर जब भी खाली समय हो, उसका सही उपयोग कीजिए।

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