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गुरुमंत्र : न अपनाएं शॉर्टकट का रास्ता

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देखा गया है कि कई बार स्टूडेंट्स कामयाब होने के लिए शॉर्टकट अपना लेते हैं। वे चाहते हैं कि कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा लिया जाए। हो सकता है कि इसके तुरंत कुछ फायदे मिलते हों लेकिन यह भी देखा गया है कि अक्सर शॉर्टकट आपको नाकामयाबी के मुहाने पर छोड़ जाते हैं जहां सिर्फ और सिर्फ अफसोस के अलावा कुछ नहीं होता।

स्टूडेंट्स को यह याद रखना चाहिए कि शॉर्टकट हमेशा खतरनाक होता है। कमीने के शाहिद कपूर को मत भूलिए जो रातोंरात कामयाब होने के लिए शॉर्टकट का सहारा लेता है और कई परेशानियों में फंस जाता है। इसलिए स्‍टेबल और चमकदार कामयाबी के लिए कड़ी मेहनत ही नहीं, लगातार कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। यह नहीं भूला जाना चाहिए कि एक्जाम के तीन महिने स्टडी करके आप कोई रैंक हासिल कर लेंगे या कॉम्पीटिटिव एक्जाम में शीर्ष पर आ जाएंगे। इसके लिए आपको लगातार मेहनत करना होगी।

इसका सबसे अच्छा उदाहरण हो सकते हैं वे एथलीट जो ओलिम्पिक में कोई मैडल हासिल करने के लिए लगातार चार साल तक मेहनत करते हैं। स्‍टूडेंट के लिए एथलीट एक आदर्श हो सकते हैं। इसलिए कोशिश करें कि जिस तरह से एथलीट अपने गोल को सीरियसली लेते हैं, स्टूडेंट को अपने गोल के प्रति उतना ही सीरियस होना चाहिए। इसके बाद हर स्टूडेंट्स को एथलीट की तरह गोल अचीव करने के लिए अपनी फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए।

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जमाना कितना भी बदल जाए, समय कितना भी बदल जाए कुछ कहानियां कभी नहीं बदलती और उनकी नसीहतें भी कभी नहीं बदलतीं। स्टूडेंट्स को कछुए और खरगोश की कहानी कभी नहीं भूलना चाहिए और उसका सबक भी कि -स्लो एंड स्टडी विन्स द रेस। यहां हमें आज के हि‍साब से मोरल ऑफ दि‍ स्‍टोरी में थोड़ा-सा चेंज करना होगा -बी अवेकन्‍ड रेबि‍ट।

इसलिए रोज स्टडी करने के लिए प्लान करें। उस प्लान पर सचाई से अमल करें। यह कतई जरूरी नहीं कि आप आठ-दस घंटे स्टडी करें। यदि आप यह तय कर लें कि रोज सिर्फ दो या तीन घंटे फुल कॉन्संट्रेशन से स्टडी करेंगे तो बेहतरीन रिजल्ट हासिल कर सकते हैं।

लिखने की आदत डालें। कई बार स्टूडेंट्स अपने नोट्स को याद भर करते हैं लेकिन उसे लिख-लिखकर याद नहीं करते। एक एथलीट ओलिम्पिक में कामयाब होने के लिए रोज अपने ट्रेक पर दौड़ लगाता है और तब चार साल बाद कोई मैडल जीतने के काबिल बनता है। इसलिए रोज लिखने की आदत डालें। एक्जाम में यही आदत आपको कामयाब बनाएगी।

जिस तरह से एक एथलीट नियमित अंतरालों में अपने परफॉर्मेंस को नोट करता है, ठीक उसी तरह आप हर सप्ताह या पंद्रह दिन में अपना मूल्यांकन करें कि रोज स्टडी करते हुए आप कहां तक पहुंचे हैं और आगे किस तरह से बढ़ना है।

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