Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

टेक योर ओन टाइम...

हमें फॉलो करें टेक योर ओन टाइम...
- भारती पंडित

ND
'आप सबसे खराब लगने वाली परिस्थिति में जिस तरह प्रतिक्रिया देते हैं, वही आपकी योग्यता की सच्ची कसौटी है।' किसी प्रसिद्ध दार्शनिक का यह कथन हमारे व्यवहार को बखूबी स्पष्ट करता है। रोजमर्रा की जिंदगी में, जब सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा हो, तब तो सही प्रतिक्रिया या सही निर्णय लेना बड़ा आसान होता है।

लेकि‍न यदि अचानक आप घिर जाएँ कुछ ऐसी परिस्थितियों में जिन्हें आप तहे दिल से नापसंद करते हों या घट जाए कुछ ऐसा। जब निर्दोष होते हुए भी आपको दोषी करार दे दिया जाए? या फिर घटे कुछ ऐसा कि आपके अहं को करारी चोट लगे...तब?

ये सारी सि‍चुएशंस वे हैं जिन्हें हममें से सभी नापसंद करते हैं। इसलिए इनके अचानक सिर आ पड़ने पर हमारी सबसे बड़ी प्रतिक्रिया होती है विद्रोह की यानी वाचा या कर्मणा उस व्यक्ति को करारा जवाब देना...। उस समय कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब विवेक अहं के सामने कमजोर हो जाता है और गुस्से में हम क्रिया की सख्त और कटु प्रतिक्रिया दे बैठते है।

कई बार ऐसा भी होता है कि बात कहीं किसी और 'इंटेशन' में जाती है और हम उसे समझते किसी और 'इंटेशन' में है। ऐसे में हमारा जवाब सामने वाले की उम्मीद के एकदम विपरीत जा बैठता है और हमारी बनी-बनाई छवि खराब हो जाती है।

आजकल कम्‍यूनि‍केशन बहुत तेज हो गया है। मोबाइल, मैसेज या मेल के जरिए रिस्पॉन्‍ड करना आसान और फटाफट हो गया है। यानी इधर कोई अप्रिय-सा मेल आया, आपके अहं को चोट लगी और आपने तड़ से करारा जवाब मैसेज पर या मेल पर दे मारा...। उस समय तो आपके कलेजे को ठंडक पड़ गई मगर दूसरे दिन जब शांत दिमाग से सारी स्थिति का फिर से मुआयना किया और अपना संदेश देखा तो शर्मिंदा होने के सिवा कोई चारा न बचा...।

ऐसी धारदार भाषा कि सामने वाले का अंग-प्रत्यंग छिल जाए...अब तक सौम्य, शांत समझी जा रही छवि का एक मिनट में सत्यानाश हो गया। इसीलिए रुकें, सोचें।

webdunia
ND
रिए‍क्‍ट करने से पहले :

1. परिस्थिति का भली-भाँति विश्लेषण करें। अपना पाँव सामने वाले के जूते में फँसाकर उसकी स्थिति को भी समझने का प्रयास करें।

2. प्रतिक्रिया देने की जल्दी कतई न करें। परिस्थिति कितनी ही नकारात्मक या उत्तेजक क्यों न हो, 'टेक योर टाइम' स्वयं को समय दें, भरपूर जल पीएँ, संगीत सुनें, प्राणायाम करें और दिमाग शांत रखें।

3. जब तक बहुत जरूरत न हो, लिखित संदेशों के प्रयोग से बचें। फोन पर या मिलकर वार्तालाप द्वारा ही समस्या को सुलझाने का प्रयास करें। लिखित संदेश बार-बार पढ़े जा सकते हैं और जख्मों को बार-बार कुरेदने में मदद करते हैं।

4. लिखित संदेश भेजते समय भाषा का बहुत ध्यान रखें। यदि नाराजगी प्रकट करती भी हो तो संयम और छुपे शब्दों में या व्यंग्यात्मक शैली में करें। सीधे शब्दों से तीखे-करारे वार न करें।

5. अपने गरीबी मित्र या रिश्तेदार को प्रतिक्रिया से अवगत कराएं। उसके सुझाव आपके लिए मददगार सिद्ध हो सकते हैं। यानी प्रतिक्रिया की एडिटिंग कराएं।

6. यह सच है कि रिश्ते जब रबड़ की तरह खिंचकर पीड़ा देने लगें तो उनका टूटना बेहतर है मगर टूटने की यह प्रक्रिया इतनी कटु हरगिज न हो कि भविष्य में आमना-सामना होने पर शर्मिंदगी महसूस हो।

7. विवेक और अहं की लड़ाई में विवेक को ही विजेता बनने दें। अहं को दबा-छुपा ही रहने दें। चूंकि वह कभी भी अधिक देर तक नहीं टिकता

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi