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वीडियो एडिटिंग का करिश्माई संसार

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- अशोक जोशी

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टेलीविजन हमारी जिंदगी से किसी पारिवारिक सदस्य की तरह जुड़ गया है। टेलीविजन के कार्यक्रम देखते हुए दर्शक अक्सर तरह-तरह के विजुअल और उनके मूवमेंट, दृश्यों और ध्वनि प्रभाव से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते हैं। किसी भी दृश्य को सिलसिलेवार गति प्रदान करने में संपादन का योगदान सर्वोपरि होता है। टीवी कार्यक्रम निर्माण में जितना महत्व निर्देशक अथवा फोटोग्राफर का होता है, उतना ही महत्वपूर्ण काम होता है वीडियो एडिटर का।

टीवी निर्माण के महत्वपूर्ण चरण
मुख्यतः किसी भी टीवी कार्यक्रम का निर्माण तीन चरणों में पूरा होता है। पहला चरण होता है विषय-वस्तु तथा अवधारणा पर काम करना, रिसर्च करना, पटकथा लिखना तथा फिल्मांकन के लिए सभी तैयारी करना। उसके बाद फिल्मांकन का चरण आता है। इसे सेट, स्टुडियो या फिर आउटडोर लोकेशन पर फिल्माया जाता है। सबसे आखिर में आता है वीडियो एडिटिंग या संपादन का चरण। जब विजुअल्स और साउंड रिकॉर्डिंग को एक साथ मिक्स किया जाता है। इस चरण में आवश्यकतानुसार स्पेशल इफेक्ट्स, संगीत तथा ग्राफिक्स को जोड़ा जाता है।

दर्शक जब वीडियो कार्यक्रम देखता है तो जिन दृश्यों को देखकर प्रभावित होता है वह होता है निर्देशक की प्रतिभा का कमाल, लेकिन इस कमाल को बेमिसाल बनाने में वीडियो एडिटिंग का कमाल सबसे महत्वपूर्ण होता है। किसी भी वीडियो कार्यक्रम में वीडियो एडिटर पोस्ट प्रोडक्शन प्रक्रिया में उल्लेखनीय योगदान देता है जिसमें फिल्म का सौंदर्य पक्ष भी शामिल होता है।
  टेलीविजन हमारी जिंदगी से किसी पारिवारिक सदस्य की तरह जुड़ गया है। टेलीविजन के कार्यक्रम देखते हुए दर्शक अक्सर तरह-तरह के विजुअल और उनके मूवमेंट, दृश्यों और ध्वनि प्रभाव से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते हैं।      


काम वीडियो एडिटर का
वीडियो एडिटर का मुख्य कार्य मोशन पिक्चर, केबल तथा ब्रॉडकास्ट विजुअल मीडिया उद्योग के लिए साउंटट्रेक, फिल्म तथा वीडियो का संपादन करना है। वीडियो एडिटर फिल्माए गए टेप में से विजुअल के सिक्वेंस को सिलसिलेवार तरीके से जमाने के साथ-साथ दर्शकों को आकर्षित करने के लिए जो भी आवश्यक हो, ध्वनि संगीत तथा प्रभाव को जोड़ता है। यह वीडियो एडियर के कौशल का कमाल होता है कि वह अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता और प्रभाव का निर्धारण करता है।

वीडियो एडिटर्स दृश्यों के विश्लेषण, मूल्यांकन, उसे काटने-छाँटने, जमाने या जोड़ने के लिए आधुनिकतम उपकरणों का उपयोग कर उत्पादन कर्मियों के साथ मिलकर काम करते हैं। सामान्यतः वीडियो एडिटिंग उपकरणों तथा मशीनों की मदद से एडिटिंग अथवा संपादन का काम किया जाता है। यह लिनियर एडिटिंग की शक्ल में हो सकता है जिसमें वांछित विजुअल्स को मास्टर टेप में रिकॉर्ड फिल्म को निकालकर दृश्य-दर-दृश्य रिकॉर्ड किया जाता है, जिसमें वीडियो रिकॉर्डर तथा प्लेयर की मदद ली जाती है।

यह कार्य निश्चित रूप से थका देने वाला होता है क्योंकि इसमें बहुत सारा समय खपाना पड़ता है, लेकिन अब कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर यह कार्य डिजिटल रूप से किया जाने लगा है। डिजिटल या या नॉन लिनर एडिटिंग में सभी वीडियो और ऑडियो डाटा को हार्ड डिस्क पर ट्रांसफर कर लिया जाता है या किसी अन्य डिजिटल स्टोरेज डिवाइस पर स्टोर करने के बाद एडिटिंग के लिए उपलब्ध कई तरह के सॉफ्टवेयर की मदद से एडिटिंग कर ली जाती है।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

इस तरीके से फिल्म फुटेज को कम्प्यूटर पर उतार लिया जाता है तथा फिल्म के निर्माता-निर्देशक के दिशा-निर्देश के अनुसार एडिट कर दिया जाता है और फिर इसे टेप अथवा अन्य किसी रिकॉर्डिंग अथवा ब्रॉडकास्टिंग उपकरण पर ट्रांसफर कर दिया जाता है।

वीडियो एडिटर विजुअल, साउंड, म्यूजिक सीन अथवा यहाँ तक कि फ्रीज किए गए दृश्य को जोड़ सकता है या कुछ फ्रेम्स को फोटोग्राफ्स के रूप में प्रिंट भी कर सकता है। वह उतारे गए फुटेज में हेराफेरी करने के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है। क्लिप्स को टाइमलाइन में अरेंज्ड कर उसमें म्यूजिक ट्रैक्स डाले जाते हैं और फिर टाइटल जोड़े जाते हैं। इस तरह फिनिश्ड वीडियो तैयार कर प्रसारण, निजी वितरण, सीडी रोम्स, डीवीडी, इंटरनेट या वेब आदि के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

वीडियो एडिटर की विशेषताए
वीडियो एडिटर की सृजनशीलता, तकनीकी कौशल तथा अनुभव एनिमेशन, ग्राफिक्स तथा स्पेशल इफेक्ट्स की मदद से कार्यक्रम को फाइनल टच देने में मदद करती है। इस तरह वीडियो एडिटर को तकनीकी रूप से प्रवीण होना चाहिए। साथ ही उसे विभिन्ना किस्मों के एडिटिंग सॉफ्टवेयर के साथ-साथ सौंदर्यात्मक दृश्य बोध का अच्छा ज्ञान तथा यथोचित फिल्मांकित वीडियो डाटा का चयन कर विचारों और संदेशों को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करने का अनुभव होना चाहिए।

वीडियो एडिटर के रूप में करियर
वीडियो एडिटर में करियर बनाने के लिए किसी तरह के विशिष्ट शैक्षणिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है। हालाँकि वीडियो एडिटिंग के कोर्स अथवा टेलीविजन तथा फिल्म में डिप्लोमा/ डिग्री करने से इच्छुक युवा संपादन की बुनियादी अवधारणाओं को समझने लायक बन जाता है तथा उसे इस कार्य में लगने वाले अलग-अलग तरह के सॉफ्टवेयर का तकनीकी ज्ञान भी हो जाता है। किसी भी विषय के छात्र इस क्षेत्र को अपना सकते हैं। सबसे जरूरी यह है कि इसके लिए सृजनशीलता मुख्य आवश्यकता है।

विषय को समझने का ज्ञान, कल्पनाशीलता तथा टीम भावना के साथ टीम के हिस्से के रूप में कार्य करने की योग्यता अच्छे वीडियो एडिटर बनने के लिए आवश्यक है। इसी तरह कम्प्यूटर की सामान्य साक्षरता तथा डिजिटल उपकरणों के साथ काम करने का एप्टिट्यूट भी महत्वपूर्ण है।

डिजिटल वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर में आमतौर पर विण्डो मूवी मेकर जैसे बुनियादी अनुप्रयोग से लेकर फाइनल कट प्रो, एविड्स मीडिया कम्पोजर, एक्सप्रेस प्रो, एबोड प्रीमियर, वेलोसिटी आदि शामिल हैं। इसके साथ ही इस कार्य में कैमरों तथा डिजिटल फिल्म टेक्नोलॉजी का सामान्य ज्ञान भी उपयोगी होता है। जैसे-जैसे समय के साथ-साथ टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर बदलते हैं उनसे अपडेट होना भी आवश्यक है।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

विडियो एडिटिंग के विशेष कोर्स
जिस तरह से हमारे यहाँ वीडियो एडिटिंग की माँग बढ़ने लगी है, इस क्षेत्र में विभिन्न स्तर पर प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों की संख्या भी बढ़ने लगी है। कई संस्थानों द्वारा वीडियो एडिटिंग के स्पेशल कोर्स चलाए जाते हैं। ऐसे कई डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध हैं जिन्हें बारहवीं अथवा डिग्री के बाद किए जा सकता है। इसके साथ ही टेलीविजन और फिल्मस्‌ के कई ऐसे डिग्री कार्यक्रम भी हैं जिसमें वीडियो एडिटिंग को एक विषय के रूप में सम्मिलित किया गया है।

फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑव इंडिया, पुणे तथा सत्यजीत राय रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता में स्नातकों के लिए फिल्म तथा वीडियो एडिटिंग में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जाते हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया में जनसंचार में स्नातकोत्तर उपाधि प्रदान की जाती है। उसमें भी फिल्म तथा टेलीविजन एडिटिंग को शामिल किया गया है। यह केवल ग्रेजुएट्स के लिए ही उपलब्ध है। फिर भी फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑव तमिलनाडु, चेन्नई, सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई तथा अन्य कई संस्थानों द्वारा डिप्लोमा, सर्टिफिकेट तथा अल्पावधि के शॉर्ट कोर्स चलाए जाते हैं जिनके माध्यम से वीडियो एडिटिंग का कौशल प्राप्त किया जा सकता है।

अधिकांश कोर्स में सैद्धांतिक अनुदेश प्रदान किए जाते हैं, साथ ही एडिटिंग उपकरणों का उपयोग कर व्यावहारिक प्रयोग भी कराए जाते हैं। अधिकांश संस्थान प्रशिक्षणार्थियों को प्रोफेशनल ग्रेड के लिनर तथा नॉन लिनर एडिटिंग उपकरणों के माध्यम से काम करना सिखाते हैं। फिर भी इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की यही राय है कि सैद्धांतिक पढ़ाई के बजाय व्यावहारिक अनुभव सबसे अच्छा प्रशिक्षण है जिसे लगातार काम करके ही प्राप्त किया जा सकता है।

पारिश्रमिक
वीडियो एडिटिंग में करियर आरंभ करने पर शुरुआत में 10 से 15 हजार पारिश्रमिक आसानी से मिल जाता है। जो इस क्षेत्र में लगातार काम करते हुए पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लेते हैं तो उनका पारिश्रमिक बढ़कर 25 से 50 हजार प्रतिमाह तक पहुँच जाता है। कुछ स्वतंत्र वीडियो एडिटर ऐसे भी हैं जो प्रति एपिसोड लाखों रु. तक कमा रहे हैं।

कुछ अच्छे एडिटर आगे चलकर अच्छे निर्देशक भी साबित हुए हैं।
इसलिए यदि आपको इस क्षेत्र में दिलचस्पी है तथा आप स्टुडियो में फिल्म निर्माण में महीनों और वर्षों का समय गुजारने की इच्छा रखते हैं तो वीडियो एडिटर के रूप में आप निश्चित ही एक ग्लैमरस करियर का चयन कर सकते हैं।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

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