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एक ही नौकरी पर टिके रहना खतरनाक

वेबदुनिया डेस्क

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अधिकांश युवा यह चाहते हैं कि पढ़ाई करने के बाद उन्हें एक अच्छी नौकरी मिल जाए और इस नौकरी के भरोसे उनकी सारी जिंदगी कट जाए। एक नौकरी में वे स्टेबिलिटी चाहते हैं। ताउम्र उसी के एडजस्टमेंट में लगे रहते हैं। अगर एक ऑफिस में जॉब करने के दौरान उन्हें अच्छे ऑफर्स मिले तो अपनी वफादारी साबित करते हुए वे उसे इग्नोर कर देते हैं।

कनाडा के कोनकोर्डिया विश्वविद्यालय के जॉन मॉलसन स्कूल ऑफ बिजनेस के अनुसंधानकर्ताओं ने विभिन्न संस्थानों के 260 कर्मचारियों पर किए गए एक अध्ययन में पाया कि उसी जॉब पर टिके रहना जिसे आप पसंद नहीं करते हैं, केवल वफादारी के लिए अथवा विकल्प की कमी के कारण निभाते रहना आपके और आपके संगठन दोनों के लिए ठीक नहीं है।

जो युवा सिर्फ वफादारी के लिए एक ही जॉब पर टिके रहते हैं, वे थक जाते हैं और हारकर बिना किसी सूचना के ‍नौकरी छोड़ देते हैं। अध्ययन के सह लेखक अलेक्जैन्डर पानासिओ कहते हैं- 'कर्मचारी अक्सर अपने संगठन में इसलिए बने रहते हैं कि उन्हें महसूस होता है कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। इसके बाद वे भावनात्मक तौर पर थकान महसूस करते हैं। यह भावना अंतत: उन्हें संगठन छोड़ देने को विवश करती है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कंपनियों को सुझाव दिया है कि वे कर्मचारियों के प्रशिक्षण और संगठन के भीतर उनके बदलाव पर ध्यान केंद्रित करें ताकि वे महसूस करें कि उन्हें उस संगठन में ही रहना चाहिए। अध्ययन से पता चलता है कि क्या किसी कम्पनी के प्रति किसी तरह की प्रतिबद्धता से भावनात्मक थकान जैसे प्रभाव हो सकते हैं।

आशय यह है कि नियोक्ताओं को कर्मचारियों की क्षमता बढाकर उनमें ‘विकल्प की कमी’ की तरह की प्रतिबद्धता को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।

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