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बेहतर करियर की कई दिशाएं...

2012 में होंगी कई प्रतियोगी परीक्षाएं

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हर परीक्षा की जानकारी संबंधित वेबसाइट पर उपलब्ध
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मंदी की मार और निजी क्षेत्र में नौकरियों की अस्थिरता के चलते युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तारीखें खंगालने में लगे हैं। बीते सालों में बूम पकड़ने वाली मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग परीक्षाओं के साथ ही अब अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं भी प्रतिभागियों का आकर्षण बन रही हैं।

बैंकिंग, मेडिकल, रेलवे, सुरक्षा सेवा, राज्य सेवा और अन्य सेवा क्षेत्रों में कब कौन-सी परीक्षा होती है, इसकी जानकारी जुटाना विद्यार्थियों के लिए बड़ा सवाल होता है। यदि जानकारी लग भी गई तो परीक्षा देते समय क्या खास ध्यान रखा जाए, ये भी विद्यार्थियों के लिए बहुत जरूरी हो जाता है। आइए देखें निम्नलिखित जानकारी पर एक नजर :-

अंक विभाजन का ध्यान रखें :
प्रत्येक परीक्षा के लिए अंक विभाजन अलग-अलग होता है, लिहाजा परीक्षा की तैयारी व प्रश्नपत्र हल करते समय प्रतिभागियों को अंक विभाजन का ध्यान जरूर रखना चाहिए। पुराने प्रश्नपत्रों को हल कर निश्चित समय सीमा में ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस की जाए ताकि गलतियों की गुंजाइश कम से कम हो और परीक्षा में समय सीमा के भीतर प्रश्न हल हो सकें।

ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें :
2012 में होने वाली बैंकिंग परीक्षाओं को लेकर विशेषज्ञ ओपी तिवारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों से इस तरह की परीक्षाओं में किताबी ज्ञान के साथ ही तार्किक क्षमता का आकलन प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है, लिहाजा प्रतिभागियों को मैथ्स और कम्प्यूटर के साथ ही लॉजिकल रीजनिंग की बेहतर तैयारी करना चाहिए। पिछले पर्चों को हल कर ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें तो कम समय में अच्छी तैयारी कर बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।

निगेटिव मार्किंग का ध्यान रखें :
जीएनजी क्लासेस के निदेशक डॉ. जीएस ठकराल ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। प्रतिभागियों को पुराने पेपर्स को हल कर ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करना चाहिए। परीक्षा में अगर सही उत्तर नहीं आता हो तो अंदाज से उत्तर न दें। गलत उत्तर से अंक कम होंगे और आशातीत परिणाम प्राप्त नहीं हो पाएंगे।

टाइम मैनेजमेंट जरूरी :
पीएस एकेडमी के निदेशक प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी में अलग-अलग योजना बनाई जाना चाहिए। प्रश्नपत्र के प्रारूप को ध्यान में रखकर अलग-अलग विषयों को समय दिया जाना चाहिए। वैकल्पिक प्रश्नों की तैयारी के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करना चाहिए जबकि वर्णनात्मक प्रश्नों के लिए विश्लेषण पर जोर देना चाहिए।

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