Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(दशमी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण दशमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-भद्रा, प्रेस स्वतंत्रता दिवस
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

नौ रूपों को पूजने का पर्व नवरात्रि

जगदम्बा माता के रूप

हमें फॉलो करें नौ रूपों को पूजने का पर्व नवरात्रि
- आरके राय
ND

शरणागतदीनार्तपरित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि नमोऽस्तु ते
- शरण में आए हुए प्राणियों एवं दीन-दुःखी जीवों की रक्षा के लिए सर्वदा रत, सबके कष्ट को दूर करने वाली हे देवि! हे देवि! आपको नमस्कार है।

पौराणिक कहावतों के अनुसार जय-विजय नामक दो देवदूत भगवान के द्वारपाल थे। एक बार की बात है। दैत्यों की शक्ति वृद्धि के कारण देवता उन दैत्यों से परास्त होकर शक्ति लोक में जगदम्बा माता शक्ति का आवाहन कर रहे थे। जगदम्बा उनके आवाहन पर उनके पास जा रही थीं। किन्तु द्वारपालों ने उन्हें अन्दर जाने से मना कर दिया। सप्तर्षि आदि ऋषि-मुनि जो आवाहन कर्म में भाग लेने जा रहे थे। उन्होंने बताया कि इन्हें जाने दो। इन्हीं की पूजा अन्दर हो रही है। किन्तु द्वारपाल नहीं माने।

उन्होंने बताया कि हम अपने स्वामी के आज्ञापालक हैं। दूसरे किसी की आज्ञा पालन नहीं कर सकते। हमें आदेश है कि किसी को भी बिना अनुमति के अन्दर न आने दिया जाए। यदि इसी देवी की पूजा अन्दर हो रही है। तो हम भी इन्हें प्रणाम करते हैं। इन्हें अपना शीश झुकाते हैं। किन्तु अन्दर नहीं जाने देंगे।

यह सुनकर माता अत्यंत क्रुद्ध हो गईं। उन्होंने नौ विग्रह साकार रूप धारण कर लिए और शाप दिया कि तुम अभी दैत्य हो जाओ। सभी देवी-देवता भयभीत हो गए। सबने मिलकर देवी की प्रार्थना की। देवी ने प्रसन्न होकर कहा कि तुम्हें मेरे नौ रूपों ने शाप दिया है। अतः तुम वर्तमान शरीर को मिलाकर नौ शरीर धारण करोगे। किन्तु तुम्हारा नौवाँ शरीर दैत्य का नहीं अपितु मूल रूप होगा।

webdunia
ND
अतः तुम्हें मात्र 7 शरीर ही दैत्य के धारण करने पड़ेंगे। इस शरीर से लेकर नौ शरीर तक तुम्हें मैं अपने प्रत्येक रूप का यंत्र प्रदान कर रही हूँ, जिससे तुम्हें समस्त सांसारिक सुख व यश प्राप्त होगा तथा मेरे अलावा तुम्हारा कोई वध भी नहीं कर सकेगा। यह सुनकर दोनों द्वारपाल बहुत प्रसन्न हुए।

उन्होंने स्तुति करते हुए कहा कि- 'हे! माता आपका शाप तो हमारे लिए बहुत बड़ा वरदान हो गया। ऐसा शाप तो सम्भवतः किसी महान तपस्वी या देवी-देवता को भी प्राप्त नहीं हो सकता है।'

माता ने पूछा कि- तुम यह कैसे कह रहे हो?

उन्होंने बताया कि इस समय जो यंत्र आपके हाथ की हथेली पर दिखाई दे रहा है। वह यह बता रहा है कि आपसे बड़ा यह आपका यंत्र अब सदा ही हमारे साथ रहेगा तथा आप तो आवाहन-पूजन एवं बहुत बड़े यज्ञ-तपस्या से दर्शन देंगी। किन्तु यंत्र रूप में तो सदा आप हमारे साथ रहेंगी। किंतु हे! माता हमें एक वरदान और चाहिए।

webdunia
ND
माता ने वर माँगने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि- 'हे भगवती! हम तो पूजा-पाठ एवं यज्ञ-तप आदि वेद-विधि से कर नहीं पाएँगे। फिर यह यंत्र कैसे सिद्ध होगा?

माता ने वरदान दिया- जाओ! आज से मेरे यह सारे यंत्र स्वयं सिद्ध हुए। मात्र इसे जागृत करना होगा। जो तुम इन्हें मेरे आवाहन मात्र से पूर्ण कर सकते हो। और तब से देवी के नौ यंत्र स्वयं सिद्ध हो गए।

क्रम से यह नौ यंत्र निम्न प्रकार हैं। जिसे स्वयं भगवान शिव ने भी अनुमोदित किया है-
आदौसंवत्सरेऽमायां संक्रमणे चाशुभे रवौ। निशाकरौ तंत्र कार्यार्थमष्टम्यां सर्वोत्तमम्‌।
यंत्र मंत्र तंत्रार्थं देवि विनवाधा निवारणम्‌। अभिप्शितमवाप्त्यर्थं अमोघ नवरात्र वर्तते॥

अर्थात् संवत्सर के प्रारंभ, होली के दिन, अमावस्या अर्थात् दीपावली के दिन, सूर्य-चन्द्र संक्रमण अर्थात् ग्रहण में एवं नवरात्र में विशेषतः अष्टमी के दिन तुम्हारे नौ यंत्र सहज ही जागृत हो जाते हैं। जिसे धारण करने वाले के लिए कुछ भी पाना दुर्लभ नहीं होता है।

'सुदीर्घश्चहयग्रीवो कर्कोकुम्भश्चचित्रकं। कात्यायनी संवर्तको जातो कालिका यामिनी तथा॥'

ये ही नौ माता दुर्गा के नौ यंत्र हैं। ये स्वयं सिद्ध यंत्र हैं। इन्हें सिद्ध नहीं करना नहीं पड़ता। इन्हें मात्र धारण ही करना पड़ता है। ये क्रमशः प्रथम रूप या दिन से नववें दिन के यंत्र हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi