Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इंदौर का बहुचर्चित शिवानी हत्याकांड

बस, एक शिवानी की खातिर...

हमें फॉलो करें इंदौर का बहुचर्चित शिवानी हत्याकांड

स्मृति आदित्य

WD
इंदौर के बहुचर्चित शिवानी हत्याकांड में चाचा राजेश सेंगर को फांसी की और उसकी पत्नी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। आइए जानते हैं क्या हुआ था मासूम सी शिवानी के साथ :

इंदौर जैसे शहर में भी दरिंदे बसने लगे हैं। अपराध की घटनाएं चरम पर पहुंच रही है और अब तो शर्म की सारी सीमाएं लांघ रही हैं। शब्द जैसे निर्जीव से हैं... आत्मा में दर्द का सैलाब है। कहां से शुरु करूं उस अबोध की दास्तां जिसे पढ़ते-सुनते आंसू नहीं थम पा रहे हैं.. लिखते हुए भी डबडबा रही हैं आंखें।

5 वर्षीय प्यारी सी बालिका शिवानी का यौन शोषण कर चाचा राजेश सेंगर ने हत्या कर दी। इंदौर स्थित राजीव आवास विहार में निसंतान राजेश सेंगर और उसकी पत्नी ने अपने दो बच्चों की मौत के बाद उत्तरप्रदेश निवासी बड़े भाई परम सेंगर से शिवानी को गोद लिया था। गोद लिए हुए अभी तीन माह ही हुए थे और हैवानियत की‍ क्रूरतम हकीकत सामने आ गई।

आए दिन शिवानी पर जुल्म की नई कहानी लिखी जाती रही। कोमल शरीर से कहीं अधिक उसका नाजुक मन छलनी होता रहा फिर भी अत्याचार की हदें खत्म ना हुई। 26 सितंबर 2012 बुधवार की रात राजेश और उसकी पत्नी ने अबोध शिवानी को इतना पीटा कि वह सहन ना कर सकी। 5 वर्षीय कच्चा शरीर आखिर कितना संघर्ष करता... थक-हार कर समा गई मौत के आगोश में।

गुस्से के भावनात्मक उबाल में सवाल खौल रहे हैं?

आखिर जब दिल में ममता थी ही नहीं तो जरूरत क्या थी एक मासूम को अपने जन्मदाताओं से छीनकर लाने की? अपने दो बच्चों को खो कर भी जो इंसान भाई की बच्ची के प्रति प्यार ना जगा सका उसे क्या हक था गोद लेने जैसी रिश्ते मजबूत करने वाली गहन परंपरा को शर्मसार करने का? इस घटना के बाद कैसे कोई निसंतान दंपत्ति के हाथों अपने कलेजे के टुकड़े को सौंपेगा?

शिवानी की मौत के बाद जब शुक्रवार को असली पिता परम सिंह सेंगर इंदौर पहुंचे तो अविरल बहती अश्रुधारा और रूंधे कंठ से यही बता सके कि वह अपनी बिटिया को राजेश के साथ भेजने के पक्ष में नहीं थे मगर पत्नी के कहने पर उन्हें भी अपने निसंतान भाई पर दया आ गई और भेज दिया शिवानी को।

सुबकते हुए परम सिंह ने बताया कि राजेश और उसकी पत्नी ने भरोसा दिलाया था कि वह शिवानी को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे पर फिर कैसे दोनों जालिम बन गए समझ नहीं पा रहा हूं.... पिता की आत्मा की चित्कार देर तक ह्रदय को बेधती रही जब भाई के लिए ग्राम‍ीण लहजे में उन्होंने कहा- ''हमें मिल जाए तो अबहिन मार दें....''

दर्द की यह करूण दास्तां और भीषण दुख को जन्म देती है जब घर की दीवार पर नन्हे हाथों से लिखे शिवानी के आड़े-टेढ़े अक्षर आंखों के सामने थिरकते हैं.... नहीं रोक पाए अधिकारी और मीडिया रिपोर्टर भी अपनी आंखों को नम होने से।

अपने व्यवसाय की कठोरतम वि‍वशता को परे रख कर वे भी दाएं-बाएं आंसू पोंछते नजर आए। शायद ही कोई पत्थर दिल इन्हें पढ़कर सहज रह सका होगा। अनगढ़ अक्षरों से बहते दर्द ने कलेजे को चीर कर रख दिया। दीवारों पर लिखा था- मुझे मत मारो... मुझे दुखता है.... मुझे भूख लगी है... हमें पानी पीना है... मुझे यहां से निकालो.. और मुझे बचाओ... उफ... ये मात्र शब्द नहीं है ये वे चीखें हैं जो दीवारों ने रोक ली, बाहर नहीं जाने दी...। मगर कुछ पड़ोसियों का कहना है कि देर रात अक्सर बच्ची की चीखें गूंजा करती थी। आखिर क्यों नहीं कोई बचा सका एक मासूम को उन राक्षसों से... जुल्म की इंतहा तो तब हो गई जब बच्ची मानकर लाई गई उस कली का यौन शोषण भी हुआ। कोई कैसे इस हद तक पतित हो सकता है? मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी के 'बेटी बचाओ अभियान' पर यह घटना फिर से सवाल बन कर खड़ी है और जवाब हमेशा की तरह ना जाने कहां है..किस कोने में दुबके हैं... !!

संबंधित थाना क्षेत्र के टीआई संतोष भदौरिया ने तब भावुकता में कह डाला था मैं इन हत्यारों को फांसी दिलवाऊंगा।

स्तब्ध कर देने वाले इस मामले ने रात भर की नींद उड़ा दी... लोगों के आक्रोश की पराकाष्ठा पार हो रही है। काश कि शिवानी के जीते जी यह आक्रोश उबल पाता। शिवानी की कोई एक चीख किसी के दिल के भीतर चूभती और वक्त पर पुलिस को सूचना मिल जाती..शायद एक नन्ही जान बच जाती... शायद एक जघन्य अपराध होने से पहले अपराधी कटघरे में होते मगर इतने सारे काश के बीच बस एक सच तड़प रहा है- शिवानी नहीं रही और शिवानी के साथ मानवता भी नहीं रही... सारे आंसू शिवानी के नाम... सारे संकल्प बची हुई शिवानियों के नाम... अगर कहीं जुल्म की ऐसी कोई दास्ता आंखों के सामने या कानों से होकर गुजरे तो कृपया आह भर कर ना रह जाएं बस एक बार आगे आएं।

करोड़ों-अरबों का दान भी वह पुण्य नहीं दे सकेगा जो एक कन्या को बचाने से स्वत: मिलेगा। आपको कसम है, इस नवरात्र में किसी मासूम की बेबस-सी आंखों को पढ़ने की कोशिश कीजिएगा... बस, एक शिवानी की खातिर...

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi