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लोकतंत्र के मंदिरों पर पुजारियों के हमले

-दीपक शर्मा

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विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिरों (संसद व विधानसभाओं) में 'माननीय' जो कुछ भी कर रहे हैं वह बेहद शर्मनाक होने के साथ-साथ देश की राष्ट्रवादिता पर भी खतरा है।

जो कुछ हो रहा है या हुआ है वह न केवल निंदनीय ही नहीं बल्कि अराजकता भी है। पूरे देश में लोकतंत्र के मंदिरों- संसद से लेकर विधानसभाओं में फैली यह अराजकता स्पष्ट संकेत है कि विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र आज पूरी तरह से खतरे में घिर चुका है। यह खतरा बाहरी नहीं, भीतरी है। इस बात की चिंता गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी व्यक्त की थी।

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दिल्ली की 'आप' सरकार ने जब गणतंत्र दिवस समारोह स्थल के निकट दिल्ली में धरना दिया तो संकेत में ही सही राष्ट्रपति ने इसे अराजकता करार दिया था और आने वाले दिनों में इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।

इसके पश्चात संसद के बजट सत्र में अपने अभिभाषण में भी उन्होंने इसी प्रकार की चिंता व्यक्त की और सांसदों तथा विधायकों को नसीहत देने का प्रयास किया, परंतु राष्ट्रपति की नसीहत का असर भी लगातार हंगामाग्रस्त चल रही संसद की कार्यवाही पर नहीं दिखा बल्कि उलटे सदन में तेलंगाना मुद्दे पर जिस प्रकार से सांसदों ने हंगामा बरपाया वह बेहद शर्मनाक है।

इस घटना ने पूरे विश्व में भारतीय लोकतंत्र को उपहास का पात्र बना डाला, परंतु इस कृत्य को अंजाम देने वाले सांसदों को शर्म नहीं आई। राष्ट्रपति ने गत सप्ताह संसद भवन में आयोजित कार्यक्रम में सांसदों को चेताया था कि संसद राष्ट्र के लोकतंत्र की गंगोत्री है और यदि यह प्रदूषित हो गई तो सहायक नदियां (विधानसभाएं) भी प्रदूषित होने से बची नहीं रह पाएंगी।

चूंकि देश में लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास रखते हुए प्रत्येक सांसद व विधायक भारतीय संविधान के तहत उसकी रक्षा करने तथा तिरंगे का मान सम्मान बनाए रखने के लिए शपथ ग्रहण कर ही सांसद व विधायक कहलाता है ऐसे में यदि कोई विधायक भारत विरोधी कार्रवाई अथवा अराजकता को अंजाम देता है तो वह सीधे-सीधे भारत राष्ट्र से संविधान के अंतर्गत राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है।

जो कुछ भी गत 12 फरवरी को जम्मू-कश्मीर विधानसभा की जम्मू सचिवालय स्थित विधानसभा में बजट सत्र के दौरान घटित हुई वह सर्वथा निंदनीय है। इससे 2 दिन पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा के अभिभाषण के दौरान विपक्षी विधायकों, जिसमें अपने आपको राष्ट्रवादी पार्टी मानने वाली भाजपा, पैंथर्स पार्टी, जम्मू स्टेट मोर्चा सहित निर्दलीय विधायकों ने जमकर हंगामा किया। इसके चलते राज्यपाल को 15 मिनट के भीतर अपना अभिभाषण हंगामे के चलते बीच में ही छोडऩा पड़ा।

इस निंदनीय कृत्य पर शर्मिंदा होने की बजाय जब दो दिन पश्चात सदन की कार्रवाई आरंभ हुई तब और अधिक प्रशासनिक इकाइयों तथा इकाइयों के सृजन में भेदभाव का विरोध करते हुए विपक्षी विधायकों ने हंगामा आरंभ कर दिया।

इस हंगामे के बीच जिस प्रकार से मुख्य विपक्षी दल पीडीपी के विधायक सदन में आसीन विधानसभा अध्यक्ष के निकट वेल में तख्तियां लेकर हंगामा करते हुए विरोध जता रहे थे उस समय अन्य विपक्षी दल भी इसी प्रकार की मांग को लेकर अपने-अपने आसन के निकट खड़े होकर नारेबाजी कर रहे थे कि अचानक पीडीपी के विधायकों ने भारत विरोधी नारे लगाना शुरू कर दिया। कल तक जो नारे कश्मीर की वादियों में अलगाववादी नेता ही लगाया करते थे। पीडीपी विधायकों ने 'हम क्या चाहें आजादी' के नारे बुलंद करना आरंभ कर दिए।

इससे हक्का-बक्का रह गए अन्य विपक्षी दल तो चुप बैठ गए, परंतु भाजपा विधायकों ने एक सकपकाहट के बाद वंदे मातरम् के नारे अवश्य लगाए परंतु मात्र 7-8 विधायकों द्वारा वंदे मातरम् के लगाए जा रहे नारे पीडीपी के आजादी के नारों के बीच दबकर रह गए। प्रश्र यह उठता है कि पीडीपी के इस कृत्य का विपक्षी और सत्ताधारी विधायकों द्वारा एकसाथ विरोध नहीं किया जाना था?

वहीं दूसरी ओर वोट बैंक की राजनीतिक करने वाले राजनीतिक दलों ने भी भारतीय लोकतंत्र की सुरक्षा में सेंध लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ और अप्रवासियों की बढ़ती संख्या को सेना ने भी देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है। परंतु वोट बैंक में इजाफा करने में युद्धस्तर पर जुटे राजनीतिक दल घुसपैठियों को सुरक्षित आश्रय देश में उपलब्ध करवा रहे हैं।

इस संबंध में गत 11 फरवरी को सेना प्रमुख जनरल बिक्रमसिंह ने भी एक सेमिनार में कहा था कि गैरकानूनी अप्रवासी बांग्लादेशी लोगों के चलते पूर्वोत्तर की स्थिति बदल गई है। असम में इसके चलते सुरक्षा को लेकर गंभीर चुनौती पैदा हो गई है। ‘बॉर्डर एंड नक्सल मैनेजमेंट’ विषय पर आयोजित सेमिनार में सेना प्रमुख ने कहा था कि अवैध अप्रवास के मुद्दे पर जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है। वहीं पाकिस्तान के बारे में जनरल सिंह ने कहा कि पिछले साल जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान जान-बूझकर बार-बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया, लेकिन भारतीय सेना ने उसे करारा जवाब दिया है।

भारत में आज कुल आबादी का आधा हिस्सा नौजवानों का है। इसी एक बड़े एक हिस्से के कारण जहां देश को युवा देश के रूप में जाना जाता है, वहीं 40.02 प्रतिशत नौजवान बेरोजगारी के कारण नशाखोरी तथा अन्य अपराधों से जुड़े हुए हैं, जिनमें हत्या, लूटपाट, चोरी, बलात्कार तथा अन्य हिंसक कार्यों के अतिरिक्त जुआ जैसे अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कुल मिलाकर स्थिति भयावह बनी हुई है और हमारे नेता हैं कि उन्हें शर्म आती नहीं।

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