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एंग्री यंगमैन नहीं, बनें कूल डूड

हमें फॉलो करें एंग्री यंगमैन नहीं, बनें कूल डूड
- राहुल बाजपेयी

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हम में से अधिकतर लोगों को गुस्सा आता है। कुछ गुस्‍से को बस में कर लेते हैं और शांत रहते हैं। कुछ उसे बस में नहीं कर पाते और गुस्सा उन्हें अपने बस में कर लेता है। सही मायनों में गुस्सा हमारे अंदर दबी एक नेगेटि‍व फीलिंग है। किसी अन्य भावना की तरह गुस्सा शारीरिक और जैविक परिवर्तन से जुड़ा होता है।

जब हम गुस्से में होते हैं, हमारी दिल की धड़कने और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता हैं। यह हमें ही नुकसान पहुँचाता है। अकसर हमारी इच्छा के अनुरूप काम न हो तो हमें गुस्सा आ जाता है। कुछ लोग स्वाभाविक तौर पर दूसरों से ज्यादा गुस्सैल हाते हैं। आम लोगों की तुलना में उन्हें ज्यादा गुस्सा आता है। ऐसे लोग गुस्से में दूसरों को ही नहीं खुद को भी नुकसान पहुँचाने से पीछे नहीं हटते।

कई बार हम सोचते हैं कि लोगों को आखिर इतना गुस्सा आता क्यों है। इसकी शुरूआत बचपन से हो जाती है, इसके कई कारण हैं। कई बार बच्चे उपेक्षा की वजह से या आस-पास की स्थितियों से प्रभावित होकर कुंठित रहते हैं। उनकी यही कुंठा बचपन में चिड़चिड़ाहट और बड़े होकर गुस्से में बदल जाती है।

पारिवारिक प्रष्ठभूमि भी गुस्से में बड़ी भूमिका निभाती है। जिन परिवारों में हमेशा कलह का माहौल रहता है, उस परिवार में बच्चे भी इसी अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि जब भी किसी व्यक्ति को गुस्सा आए वो अपना ध्यान किसी अन्य विषय पर लगाने की कोशिश करे।

अन्य लोगों को चाहिए कि यदि सामने बैठा व्यक्ति गुस्से में है तो उसे बोलने दें, त्वरित प्रक्रिया गुस्से को और भी अधिक बढ़ा देती है। गुस्से में बोले गए शब्दों पर ध्यान देने के बजाय उसके कारणों को जानने की कोशिश करें। जब उस व्यक्ति का गुस्सा ठंडा हो जाए तो उससे बात करने की कोशिश करें। उसकी बातों को ध्यान से सुनें।


इन बातों का रखें ध्यान :

1. त्वरित प्रक्रिया गुस्से को और भी बढ़ा देती है। गुस्से में बोले गए शब्दों पर ध्यान देने के बजाय उसके कारणों को जानने की कोशिश करें। जब किसी व्यक्ति का गुस्सा ठंडा हो जाए तो उससे बात करने की कोशिश करें।

2. जिस बात पर गुस्सा आ रहा है, उस बात को सोचने की बजाय किसी और विषय के बारे में सोचना शुरू कर दें।

3. उलटी गिनती करना शुरू कर दें, या अपना मनपसंदीदा संगीत सुनना शुरू कर दें।

4. शांत रहने की कोशिश करें, ठंडा पानी पिएं।

5. छोटे बच्चों के साथ खेलें।

6. गुस्से में गाड़ी कभी भी न चलाएँ।

7. वीडियो गेम खेलें या टीवी चला दें।

8. अपनी समस्याओं को दूसरों के साथ बांटे।

9. सुबह या शाम टहलने जरूर जाएँ।

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