Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जंगलों का अस्तित्व खतरे में

अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जंगल

हमें फॉलो करें जंगलों का अस्तित्व खतरे में
ND

दुनिया के करीब सात अरब लोगों को प्राणवायु (ऑक्सीजन) प्रदान करने वाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और यदि जल्द ही इन्हें बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं विकराल रूप ले लेंगी।

बिहार की राजधानी पटना में लंबे समय से जंगलों को बचाने के लिए काम कर रही संस्था ‘तरूमित्र’ के प्रमुख फादर राबर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए उसके आसपास 16 बड़े पेड़ों की जरूरत होती है लेकिन भारत में स्थिति इसके उलट है।

फादर राबर्ट ने कहा, ‘भारत में 36 लोग एक पेड़ पर आश्रित हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिकों का कहना है कि जमीन के एक तिहाई हिस्से पर वन होना चाहिए जबकि भारत में सरकारी आकडों के मुताबिक देश के करीब 23 फीसदी हिस्से पर वन हैं। लेकिन हाल ही में आई एक गैर सरकारी संस्था की रिपोर्ट बताती है कि भारत के केवल 11 प्रतिशत हिस्से पर वन हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘यह स्थिति काफी गंभीर है। कई सौ वर्षों में तैयार हुए जंगलों को काट देने से एक पूरा जीवन चक्र समाप्त हो जाता है।’ राबर्ट ने कहा कि देश में विकास के नाम पर बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं लेकिन उन्हें फिर से लगाने की प्रक्रिया काफी धीमी है।

उन्होंने सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरनमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि देश में 18 पेड़ काटे जाते हैं तो एक पेड़ लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत बिहार के वन विभाग ने बताया कि पटना में पांच हजार पेड़ काटे गए तो केवल 1200 पेड़ लगाए गए। पर्यावरण संरक्षण के दिशा में काम कर रही संस्था ‘वातावरण’ की निदेशक अलका तोमर ने बताया कि सरकार ने वनों के संरक्षण की दिशा में काफी काम किया है और पर्यावरण मंत्रालय की ‘नो गो’ नीति काफी अच्छा असर दिखाई दिया है।

webdunia
ND
अलका तोमर ने कहा, ‘लेकिन खनन, कोयला, राजमार्ग जैसे मंत्रालयों की तरफ से पर्यावरण मंजूरी के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय पर काफी दबाव रहता है। आज अगर भारत में वन बचे हैं तो इसके पीछे भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की कड़ी मेहनत और विभिन्न समुदायों का अथक प्रयास है।’’ उन्होंने बताया कि सरकार ने ‘ग्रीन इंडिया मिशन’ के तहत देश के उन क्षेत्रों में काम किया है जहां जंगल काटे जा चुके हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक ‘धरती के फेफड़े’ कहे जाने वाले ब्राजील के वष्रावन वहां चलाई जा रही विकास गतिविधियों की भेंट चढ़ रहे हैं। ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के मुताबिक दुनिया के इस सबसे बड़े वष्रावन में पिछले 12 महीने में 11 प्रतिशत की कमी आई है।

गौरतलब है कि दुनिया भर में लोगों को जागरूक करने के लिए 21 मार्च का दिन ‘विश्व वानिकी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का सबसे पहले विचार वर्ष 1971 में यूरोपीय कृषि परिसंघ की 23वीं आम बैठक में आया था। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi