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दागियों का बचाव

- एमके सांघी

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प्रश्न : दद्दू, दागी जनप्रतिनिधियों की सदस्यता बचाए रखने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए अध्यादेश के बारे में आप क्या कहेंगे? क्या यह सजायाफ्ता दागी नेताओं को संरक्षण देने का प्रयास नहीं है।

उत्तर : इतिहास एवं पुराण गवाह हैं कि देश तो क्या स्वर्ग पर भी कभी देवताओं के स्थान पर राक्षसों का राज स्थापित हो चुका है। स्वयं त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने समय-समय पर राक्षसों को वरदान दिए है। महाभारत काल में मथुरा में कंस जैसे दुष्ट का राज रहा। धरती का इतिहास दुष्ट और अन्यायी राजाओं की कहानियों से भरा पड़ा है। सरकार इस बात को समझती और मानती है कि सच्चे लोकतंत्र में सज्जनों के साथ दुष्टों व अपराधियों को भी बराबर के अवसर मिलना चाहिए और इसीलिए उसने जन प्रतिनिधित्व कानून (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) अध्यादेश 2013 को मंजूरी दी। पक्ष के साथ विपक्ष हमेशा रहता आया है। अत: सज्जनों के बीच दुष्ट व अपराधी भी हमेशा ही रहेंगे। आप उन्हें रोकेंगे तो सज्जनों के बीच से वे पैदा हो जाएंगे। सज्जन किसी भी समय दुष्ट बन सकता है और दुष्ट कभी भी सज्जन बन सकता है। एक ही व्यक्ति अलग-अलग लोगों के लिए सज्जन और दुष्ट दोनों भूमिकाएं निभाता पाया जा सकता है। अब यह सज्जनों (सरकार और जनता दोनों में शामिल) पर निर्भर है कि वे दुष्टों के सामने आत्म समर्पण कर सत्ता उनके हाथ में दे देते हैं या उन्हें परास्त कर अपना वर्चस्व बनाए रखते हैं।

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