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क्या राहुल अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं?

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- महेंद्साँघ

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वेबू- काका, चुनाव परिणामों के शुरुआती रुझानों में कांग्रेस तथा उसका गठबंधन काफी आगे चल रहा है।
काका- ठीक ही है! टीवी के इतने सारे चैनल मिलकर झूठ थोड़े ही बोलेंगे।

वेबू- काका, कांग्रेस की विजय से आप खुश नजर आ रहे हैं।
काका- अरे नहीं, अपन तो भाजपा और राजग के जीतते तो भी उतने ही खुश होते।

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वेबू- काका, वह क्यों?
काका, क्योंकि छोटे क्षेत्रीय दलों के नेताओं की तरह अपन ने भी स‍ीख लिया है कि किसकी जीत पर खुश होना है यह चुनाव के रुझान आने पर ही तय करना चाहिए। जो जीते वहीं सिकंदर और उसी के साथ रहने में फायदा है।

वेबू- काका, आम मतदाता क्या सोचकर तय करता है ‍‍कि किसे वोट दें।
काका- मुख्यत: वोट देने के निर्णय दो तरह से किए जाते हैं। पहला- किस दल के प्रत्याशी को वोट देने पर अपना और अपनेवालों का फायदा है।

वेबू- जैसे कि किस प्रत्याशी ने दारू पिलाई और किसने नोट या उपहार बाँटें।
काका- बिलकुल ठीक !

वेबू- जैसे कि किस प्रत्याशी के जीतने से अपने बिजनेस में फायदा होगा, अपने सरकारी काम निकलेंगे। कौन अपना रिश्‍तेदार है। कौन अपनी जाति का है, और कौन अपने काम आएगा।
काका- बिलकुल ठीक !

वेबू- काका, वोट तय करने का दूसरा कारण क्या है?
काका- किस दल के प्रत्याशी को वोट देने से दूसरे प्रत्याशी को नुकसान पहुँचाया जा सकता है।

वेबू- जैसे कि एक विशेष वर्ग के मतदाता सिर्फ इसलिए दूसरे प्रत्याशी को वोट देते हैं क्योंकि उन्हें भाजपा को किसी भी कीमत पर सत्ता में नहीं आने देना है।
काका- एकदम सही। यह निगेटिव वोटिंग का तरीका है।

वेबू- जैसे कि किसी प्रत्याशी के दल के समर्थकों द्वारा अपने ही दल के प्रत्याशी को हराने के लिए की गई भीतरघात।
काका- एकदम निशाने पर।

वेबू- जैसे कि किसी घमंडी प्रत्याशी को नीचा दिखाने, सड़क पर लाने की अभिलाषा। इस‍ी के चलते कई वीआईप‍ी प्रत्याशी सड़क पर आ जाते हैं।
काका- बिलकुल सही।

वेबू- काका, वे कौन से मतदाता हैं जो वोट देने नहीं जाते हैं।
काका- ये वो लोग हैं,जो 'कोई नृप होय हमहिं का हानि' वाली उक्ति में विश्वास रखते हैं। वे मतदान के प्रति निर्लिप्त रहकर घर पर ऐश करना पसंद करते हैं।

वेबू- काका, भाजपा इस चुनाव में क्यों पिछड़ती नजर आ रही हैं?
काका- इस बात का उत्तर भाजपा नेता खुद शाम तक बताएँगे।

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वेबू- काका, सुहानुभूति की लहर भी तो मतदाता का मूड़ तय करती हैं।
काका- उसके लिए किसी बड़े नेता को भगवान के घर का टिकट कटाना होता है। जो इस चुनाव में नहीं है।

वेबू- काका, कांग्रेस यदि सबसे बड़े दल के रूप में आ गई तो क्या राहुल गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के अवसर हैं।
काका- यूँ तो राहुल ने खुद कहा है ‍कि मनमोहनजी ही अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। मगर हो सकता है कि मनमोहनजी खुद गाँधी परिवार के प्रति निष्‍ठा व्य‍क्त करते हुए सोनिया गाँधी की तरह बलिदानी मुद्रा में आ जाए और राहुल के पीएम बनने का रास्ता साफ कर दें।

वेबू- काका, क्या वे ऐसा खुद की मर्जी से करेंगे?
काका- वेबू, अब इतने समझदार तो तुम हो ही कि खुद इसका उत्तर दे सको।

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