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चेन चोरी के धंधे को बाय-बाय

- महेंद्र सांघी

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लोग समझते हैं कि चेन चोरी बहुत ही मुनाफे का धंधा है, मगर एक बार जरा इस करियर क्षेत्र में आकर देखें तो आँखें खुल जाएँगी। आजकल की महिलाएँ बहुत ही समझदार होती जा रही हैं। जब-जब किटी पार्टी में जाती हैं, एक-दूसरे को समझाती रहती हैं कि चेन पहनकर बाहर मत निकला करो। कोई भी महिला चेन पहनकर सड़क पर निकली नहीं कि मोहल्ले की चार पड़ोसनें उसे ऐसे टोक देती हैं, मानो देसी दवा का नुस्खा बता रही हों। आज के जमाने की सासें भी चेन पहनकर मंदिर कहाँ जाती हैं? उन्हें सास-बहू सीरियल्स से ही फुरसत नहीं मिलती।

चेन पहनने की औकात रखने वाली मैडमें कार के बिना कहीं आती-जाती नहीं। अब गिनती की जो बेवकूफ पैदल जाती हैं, उनकी तलाश में हर महीने इतना पेट्रोल फूँक जाता है, जितने में हफ्ते भर की भाजी आ जाए। पिछले सालों में महँगाई और बेरोजगारी चार गुना बढ़ गई है, मगर चेन चोरी के अवसर बमुश्किल डेढ़ गुना हुए हैं। चोरों की संख्या में वृद्धि की दृष्टि से देखें तो ये अवसर आधे ही रह गए हैं।

लोगों को लगता है कि बस एक झपट्टा मारा और 20-25 हजार रुपयों के वारे-न्यारे, मगर ऐसा नहीं है। चोरी में सफल हो गए तो कम से कम तीन साथियों को पतली-सी चेन का एक-तिहाई टुकड़ा मिलता है वह भी तब, जब आधी चेन शिकार के हाथ में नहीं रह गई हो। फील्ड में बने रहने के लिए लगातार फिटनेस भी बनाए रखना पड़ती है। क्रिकेट की तरह नहीं, जहाँ पुराने प्रदर्शन की बदौलत गाड़ी भी चलती रहती है और एड भी मिलते रहते हैं।

हड़बड़ी में भागते समय अपन या गाड़ी किसी से ठुक गई तो समझ लो कि आधी कमाई गई पानी में। कभी-कभी तो पूरी गाड़ी छोड़कर भागना पड़ता है। सबसे बड़ा खतरा मौके पर पकड़ाने और भीड़ से पिटने का होता है। भीड़ की मार के सामने पुलिस की मार भी कहीं नहीं लगती है। एक बार फँस गए तो समझो महीने-दो महीने के लिए बॉडी गई अस्पताल में।

वहाँ सही इलाज के लिए खीसे में रोज एक चेन चाहिए। ठीक होने के बाद शरीर पॉलिश उतरी खोटी चेन की तरह दिखने लगता है। रही-सही पॉलिश को पुलिस और वकील साहब कचहरी में उतार देते हैं। मुसीबत एक नहीं, कई होती हैं। चेन चोरों को कोई भी बाप अपनी लड़की देना पसंद नहीं करता। ठीक ही तो है, जब हर गली-मोहल्ले में खुलेआम मूँछ पर ताव देकर गुंडागर्दी करने वाले भाई लोग मौजूद हैं तो कोई बाप क्योंकर किसी उठाईगिरे को अपनी लड़की देगा?

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अब थोड़ी अंदर की बात, जो कि किसी को नहीं पता, वो भी बता दें। मोहल्ले के बच्चे, जिन्हें धंधे की खबर होती है, वे फिल्मी विलेन की तरह सिर्फ चॉकलेट से नहीं मान जाते। उन्हें साथ में चाहिए महँगे कोला, आलू-चिप्स आदि के पैकेट। चेन मिलने की खबर के दिन तो मुए पिज्जा के बगैर नहीं मानते। मजेदार बात यह है कि साल की दो चेन घर वाली जन्मदिन और शादी की वर्षगाँठ के नाम से झटक लेती है। हद तो तब हो गई, जब लाख समझाने के बावजूद एक बार वह चेन पहनकर निकली और शिकार बनकर लौटी। अब चोर को क्या पता था कि वह किसी हमपेशा की बीवी थी!

इस धंधे में आगे आने वाले खतरे का नाम टैटू है। हाल ही में एक महिला ने अपने गले में मंगलसूत्र का टैटू बनवा लिया और जिंदगीभर के लिए निश्चिंत हो गई। अपन ने तो बाबू पक्का मन बना लिया है कि पान की गुमटी लगा लेंगे, मूँगफली बेच लेंगे, चेन चोरी नहीं करेंगे।

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